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ऋषिकेश/बैंगलोर;


 परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष
एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और आर्ट आॅफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी की भेंटवार्ता आर्ट आॅफ लिविंग के प्रमुख केन्द्र, बैंगलोर में हुई।
 अध्यात्म जगत की दोनों विशिष्ट विभूतियों ने गंगा, यमुना, पर्यावरण संरक्षण जैसे अनेक विषयों पर चर्चा की।
 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि गंगा और यमुना हिमालय से निकली नदियां है जिनके जन में भारत की संस्कृति, वसुधैव कुटुम्बकम् का संगीत, ऋषियों के मंत्रों एवं शास्त्रों का ज्ञान एवं हिमालय की औषधियों का अमृत  समाहित है। उन्होने कहा कि गंगा के जल में सुनने, ग्रहण करने और बांटने की अपार शक्ति है; गंगा भारत की सृमद्धि और शान्ति का आधार है। गंगा भारत की जीवन रेखा है, वह जीवंत रहेगी तो भारत की संस्कृति भी जीवंत बनी रहेगी।
 स्वामी जी महाराज ने बताया कि आर्ट आॅफ लिविंग के केन्द्र से आर्ट आॅफ शेयरिंग (साझा करना) की शुरूआत हुुुई। हम सभी मिलकर समाज के लिये; एक दूसरे के लिये और पूरे विश्व के लिये शेयर कर सकते है।
 स्वामी जी महाराज ने कहा कि वर्तमान समय सभी शक्तियों एवं संस्थाओं को एक साथ लाकर जल, पर्यावरण, नदियों और समाज के लिये मिलकर कार्य करने का है। उन्होने कहा कि मुझे लगता है आर्ट आॅफ शेयरिंग ही आगे चलकर आर्ट आॅफ केयरिंग बनेगा आज समाज को इसकी आवश्यकता है।
 परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग फेस्टीवल के सहभाग हेतु आमंत्रित किया तथा प्रयाग कुम्भ मेला में कुम्भ के दौरान होने वाले जल, जंगल, जमीन, जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण जैसी अनेक समस्याओं का उत्तर भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व खोज रहा है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि इन समस्याओं का कारण हम है तो समाधान भी हम ही है ’’हम है समाधान’’ इसलिये हम है समाधान शीर्षक पर कुम्भ में सम्मेलन करने की आवश्यकता है जिसमें सभी विद्वान अपने विचार व्यक्त कर सके तथा एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया जा सके। उन्होने कहा कि हम ही समस्या; हम ही समाधान तथा हम सब मिलकर इसका समाधान भी निकाल सकते है।
 स्वामी जी ने बताया कि वर्तमान समय में विश्व स्तर के विभिन्न धर्मो के धर्मगुरू मिलकर विभिन्न गंभीर सामाजिक मुद्दों यथा महिलाओं, बच्चों, पर्यावरण, पृथ्वी, प्रकृति तथा आने वाली पीढ़ियों के सुखद भविष्य के लिये चिंतित है उस पर विशेष चर्चा हुई।
 आदरणीय श्री श्री रविशंकर जी के दिव्य आश्रम, उनकी दिव्यता, भव्यता, आध्यात्मिकता और पूरे वातावरण को देखकर स्वामी जी महाराज ने कहा कि यहां का बहुत मनमोहक, दिव्य और सुरम्य वातावरण है यहां आकर किसी का भी हृदय परिवर्तन हो सकता है। आज की यह भेंटवार्ता बहुत सफल रही जो हमेशा यादगार रहे।

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