हल्दूखाता (कोटद्वार) :-
संत निरंकारी मिशन के तत्वाधान मे आयोजित रविवारीय सत्संग मे आध्यात्मिक प्रवचन करते हुए ब्रान्च मुखी सतेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि
सत्य परमात्मा की चर्चा करने से या सच के बारे मे पढ़ने से सत्य परमात्मा का ज्ञान नही होता ।
सारा संसार परमात्मा की भक्ति में तो लगा हुआ है, परन्तु जिस प्रभु की भक्ति की जा रही है उसकी पहचान नही है । सत्गुरू की कृपा से ही परमात्मा को बोध सम्भव है, जिसके बाद भक्त को वह ज्ञानरूपी दृष्टि प्राप्त होती है, जिससे वह परमात्मा को हाजिर नाजिर कण कण मे देखता है।
आगे फ़रमाया कि सदगुरु के प्रति विश्वास की दृढ़ता हमारे ज्ञान काे पक्का करती हैं ।जाे हमारे जीवन में समृदि, विकास,प्यार ,एकता शांति के द्वार खाेल देती हैं हृदय में ज्ञान के उतरने से कर्मों के अंदर बदलाव आ जाते हैं ।ज्ञान सदैव से ही सदगुरू के मुखारबिंद एव इशारे से ही प्राप्त होता है ।
जाे अंतःकरण मे ब्रह्मज्ञान की आलाेकिक ज्याेति प्रकाशित करती हैं ।आत्मा की ज्योति भीतर उजाला कर देती है।अज्ञानता रूपी अंधकार मिट जाता है ।
सत्संग समापन से पूर्व अनेको सन्तो-भक्तो ने अपनी क्षेत्रीय भाषा का सहारा लेकर गीतो एवं विचारों से संगत को निहाल किया। सत्संग का मंच संचालन चंद्र प्रकाश द्वारा किया गया।
संत निरंकारी मिशन के तत्वाधान मे आयोजित रविवारीय सत्संग मे आध्यात्मिक प्रवचन करते हुए ब्रान्च मुखी सतेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि
सत्य परमात्मा की चर्चा करने से या सच के बारे मे पढ़ने से सत्य परमात्मा का ज्ञान नही होता ।
सारा संसार परमात्मा की भक्ति में तो लगा हुआ है, परन्तु जिस प्रभु की भक्ति की जा रही है उसकी पहचान नही है । सत्गुरू की कृपा से ही परमात्मा को बोध सम्भव है, जिसके बाद भक्त को वह ज्ञानरूपी दृष्टि प्राप्त होती है, जिससे वह परमात्मा को हाजिर नाजिर कण कण मे देखता है।
आगे फ़रमाया कि सदगुरु के प्रति विश्वास की दृढ़ता हमारे ज्ञान काे पक्का करती हैं ।जाे हमारे जीवन में समृदि, विकास,प्यार ,एकता शांति के द्वार खाेल देती हैं हृदय में ज्ञान के उतरने से कर्मों के अंदर बदलाव आ जाते हैं ।ज्ञान सदैव से ही सदगुरू के मुखारबिंद एव इशारे से ही प्राप्त होता है ।
जाे अंतःकरण मे ब्रह्मज्ञान की आलाेकिक ज्याेति प्रकाशित करती हैं ।आत्मा की ज्योति भीतर उजाला कर देती है।अज्ञानता रूपी अंधकार मिट जाता है ।
सत्संग समापन से पूर्व अनेको सन्तो-भक्तो ने अपनी क्षेत्रीय भाषा का सहारा लेकर गीतो एवं विचारों से संगत को निहाल किया। सत्संग का मंच संचालन चंद्र प्रकाश द्वारा किया गया।
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