नरेंद्र नगर;
वाचस्पति रयाल
श्री कुंजापुरी पर्यटन एवं विकास मेले की छठी सांस्कृतिक संध्या पंजाबी लोक नृत्य और गायन के मंजे प्रसिद्ध कलाकार जसविंदर सिंह उर्फ जस्सी के नाम रही,
अपने नृत्य व अदा के दम पर फिल्मी जगत में दमदार एंट्री करने वाली चेतना कैंतुरा ने नृत्य और गायन में जसविंदर का बेहतर साथ दिया।
मां कुंजापुरी का स्मरण करते हुए वंदना गीत के बाद जसविंदर नहीं पंजाबी फिल्मी गानों को नृत्य के प्रस्तुत कर पांडाल में समा बांध दिया। लगभग 3 घंटे से अधिक समय तक चले नाच- गानों की मैराथन प्रस्तुति ने पांडाल में दर्शकों को नाचने पर मजबूर कर दिया और वे पांडाल की पिछले हिस्से में मस्ती में तब तक झूमते रहे जब तक कि अंतिम प्रस्तुति समाप्त नहीं हो गई। इससे सहज ही अंदाजा लग सकता है की नृत्य और गायन की परफारमेंस दर्शकों के सर चढ़कर बोला। बीच- बीच में गायन और नृत्य की पारखी चेतना कैंतुरा ने जसविंदर का बखूबी साथ देकर कार्यक्रम में जान फूंक दी। नृत्य व गायन के साथ निरंतर प्रस्तुतियों के बावजूद ताजगी और ऊर्जा से लवरेज जसविंदर की अंतिम प्रस्तुति पर पांडाल में दर्शकों ने खड़े होकर उनकी कला का आदर व सम्मान किया।
जसविंदर ने"ओ कुड़ी पंजाब दी" "दिल लगी कुड़ी पहाड़ दि" "एक लड़की कुंवारी मेरे दिल में उतर गई हाय" "उड़ें जब जब जुल्फें तेरी" "जय- जय शिव शंकर" " बरेली के बाजार में झुमका गिरा रे" "कजरा मोहब्बत वाला" मैं जट यमला पगला दीवाना"सहित अनेकों पंजाबी गानों को पेशकर दर्शकों को रोमांचित किये रखा।
इस मौके पर मेला के मुख्य संरक्षक व प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कलाकार जसविंदर सिंह को कला व संस्कृति का भक्त बताते हुए कहा कि कला व संस्कृति के प्रति उनका समर्पण, निष्ठा, लगन की भावना से काम करते हुए आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं, कहा चेतना में हुनर है काम के प्रति निष्ठा व लगन है सफलता जल्द उनके पांव चूमेगी।
इस मौके पर चेतना की मां श्रीमती मीरा कैंतुरा, पूर्व सभासद सरिता जोशी, राजेंद्र विक्रम सिंह पंवार, ढालवाला के पूर्व प्रधान रोशन रतूड़ी, मुख्य आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ एम पी सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य ऋतुराज सिंह नेगी, पूर्व पालिका उपाध्यक्ष राजेंद्र गुसाईं, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य जयपाल सिंह नेगी, हरपाल सिंह भंडारी, राजवीर पुंडीर, पूर्व पालिका अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राणा, राजपाल पुंडीर, अरुण नेगी, महेश गुसाईं, दीवान सिंह रावत कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति तक पांडाल में जमे रहे।
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