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नैनीताल;

कितने अफसोस  की बात है कि एक मृत व्यक्ति का पार्थिव शरीर  रीति रिवाजों सहित क्रियाकर्म करने हेतु कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।और तब जाकर एक मृत देह को और एक पुण्य  आत्मा को शांतिपूर्वक इसलोक से प्रस्थान करने का मौका मिलेगा। संवेदनहीन  हो गयी है व्यवस्था या मानवता यह  कहना मुश्किल है। परंतु  धन्य है न्यायालय और न्यायधीश जिनके  कारण सानन्द जी  के शिष्यों को उन्हें साक्षात श्रधांजलि देने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।
उच्च न्यायालय ने दिवंगत  स्वामी स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ जीडी अग्रवाल के पार्थिव शरीर को 8 घंटे में मातृसदन में भेजने का आदेश दिया है।
यह भी कहा है कि पार्थिव शरीर  को 76 घंटे के लिए मातृसदन में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाए।  ज्ञात हो कि इस समय स्वानी सानंद का पार्थिव शरीर ऋषिकेश एम्स में रखा हुआ है। गंगा रक्षा के लिए स्वामी सानंद ने 112 दिनों तक हरिद्वार स्थित मातृसदन में अनशन किया था।
इसी दौरान 11 अक्टूबर को ऋषिकेश में उनका निधन हो गया था. उन्होंने अपना शरीर ऋषिकेश एम्स को दान कर दिया था। इस पर ऋषिकेश एम्स प्रशासन ने स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन के लिए किसी को अनुमति नहीं दी थी।इस समय स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर ऋषिकेश एम्स में रखा हुआ है। स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार को लेकर उनके अनुयायी हाई कोर्ट में एक याचिक दायर की थी।
जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को 8 घंटे के अंदर मातृसदन भेजने का आदेश दिया है। साथ ही उनके पार्थिव शरीर को 76 घंटे के लिए मातृसदन में अंतिम दर्शन के लिए रखे जाने का आदेश दिया है।

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