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 रुद्रप्रयाग:

 भूपेंद्र भंडारी

आने वाले दिनों में प्रदेश के गढवाल क्षेत्र के पहाडी मूल की जनता भी रेल की छुक-छुक की आवाज सुन पायेगी। इसके लिए उत्तर रेलवे ने सारी तैयारियां कर दी हैं।  सरकारी तैयारियां तो पूरी हो गयी हैं।  मगर जनता की मुसीबतें भी शुरु हो गई हैं । रेल पथ निर्माण से जिले के 10 गांवों के 132 परिवारों को अपना पैत्रिक घर व खेती छोडनी पडेगी । साथ ही इन लोगों पर भारत सरकार की चारधाम परियोजना की भी मार पड रही है। पहले तो सारी जमीन व घर रेलवे ने अधिगृहित कर दी वहीं अब चारधाम सडक निमार्ण के चलते इनकी बची हुई जमीनें भी अधिगृहित होने जा रही हैं । जिससे यहां होने वाले बडे विकास में सबसे जयादा तीन गांवों के ग्रामीण पिस रहे हैं।


ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल पथ निर्माण में रुद्रप्रयाग जिले के 10 गांव प्रभावित हो रहे हैं कुल 23 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। जिस परर 25 किमी लम्बी रेलवे लाइन विछाई जानी है। रेल पथ निर्माण से 889 कास्तकार प्रभावित होंगे मगर अभी मक 782 कास्तकारों ने ही सरकार से प्रतिकर लिया है। 132 भवन तो पूरी तरह से समाप्त हो जायेंगे।  गिरीश गुणवन्त प्रभारी जिलाधिकारी  का कहना है कि यह तो रेलवे का अधिग्रहण है । अब चारधाम परियोजना के तहत भी अधिग्रहण की कार्यवाही शुरु हो गयी है । प्रभावितों के पास जीवन यापन करने के लिए कुछ  जगह ही बची हुई हैं  ।

जबकि  प्रभावितों कुवर सिह पूर्व सैनिक ,विनोद रावत,लक्ष्मण सिंह रावत   का आरोप है कि सरकार ने उन्हें गुमराह कर उनकी जमीने  हडपी हैं । पहले तो विकास के नामपर रेलवे को औन पौने दामों पर जमीनें बिकवाई और अब एनएच के चैडीकरण के नाम पर उनकी बची जमीनों को भी खरीदकर स्थानीय लोगों को बेघर बनाने का कुचक्र रचा जा रहा है।

 इन- रेल पथ निर्माण से10 गांव प्रभावित, होंगे ,जिसमे   नरकोटा, तिलणी सुमेरपुर मवाणा व नगरासू में सबसे ज्यादा प्रभावित होगें । सबसे ज्यादा नरकोटा में 21, सुमेरपुर में 23, मवाणा में 30 व नगरासू में बेघर होंगे 54 परिवार। यहाँ  24 हैक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है और जनपद से 25 किमी लम्बी रेल लाइन गुजरेगी
नरकोटा व घोलतिर में डम्पिग जोन बनेगा,  तो सुमेरपुर में रेलवे स्टेशन बनेगा ।ग्रामीणों की है मांग, उन्हें विस्थापित किया जाय ।
राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिग्रहण में भी आ रहे रहे हैं ,प्रभावित और  रेलवे ने 30 सितम्बर तक घरों को खाली करने के नोटिस बोर्ड  लगा दिए है।
अब ग्रामीणों को  खेतों पर खडी फसलों को भी बिना तैयार हुए पडेगा काटना
भरत सिंह चैधरी विधायक रुद्रप्रयाग   ने भी ग्रामीणों के साथ हो रही ,इस प्रक्रिया को गलत ठहराया है और प्रभावितों हर स्थिति में न्याय दिलाने की बात कही है। कहा कि नियमों के अनुसार ग्रामीणों को वो सारी सुविधाएं दी जानी चाहिए जिससे वे अपने रोजगार को चला सकें व अपना जीवन यापन कर सकें।

कहते हैं बिना विनाश  के विकास सम्भव नहीं है। मगर रुद्रप्रयाग जिले में विनाश  नहीं बल्कि 132 परिवारों को अपने पैतृक  घरों को छोडने के लिए मजबूर होना पडेगा और अब ये घर हमेशा के लिए सिर्फ उनकी यादों में रहेंगे। अब कुछ दिनों बाद नहीं दिखेंगे वो खेत खलिहान न ही गौ चरण के स्थान ना तो वो पानी के धारे और ना ही अपने चैक तिबार। सब कुछ रेल की पटरियों के नीचे सदा के लिए दब जायेगा। और तब छुक-छुक की आवाजों के बीच अगर कुछ रहेगा तो वह सिर्फ अतीत की यादें।

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