ऋषिकेश:
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के सान्निध्य में अप्रवासी भारतीय दल के सदस्यों ने देवप्रयाग का भ्रमण किया।

देवप्रयाग प्रवास के दौरान स्वामी जी महाराज ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के तहत संचालित संस्कृत विश्वविद्यालय का भ्र्रमण किया। इस दौरान स्थानीय लोगों ने स्वामी जी से अपनी समस्याओं को भी साझा किया।
स्वामी जी महाराज के साथ अप्रवासीय भारतीय दल के सदस्य, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और परमार्थ परिवार के सदस्यों ने देवप्रयाग में स्वच्छता अभियान चलाया। साथ ही वहां पर शौचालय की सुविधाओं का भी जायजा लिया तथा गंगा एक्शन परिवार परमार्थ निकेतन के तत्वाधान में निर्माण करवाने का आश्वासन दिया। साथ ही मन्दिर परिसर और उसके आस-पास के क्षेत्र के सौन्दर्यीकरण, हरियाली युक्त एवं प्रदूषण मुक्त बनाने हेतु विशेष चर्चा हुई।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि देवप्रयाग, अलकनन्दा और भागीरथी नदियों के पावन संगम पर स्थित है। उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड के बच्चों को ईश्वर का विशेष वरदान प्राप्त है उन्हे स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल, देवात्मा हिमालय और गंगा की पवित्रता वरदान में मिली है, आप इस पवित्र क्षेत्र में शान्ति, सद्भाव और पवित्रता को आत्मसात कर यहा से माॅडल बन कर देश को उन्नति के पथ पर अग्रसर करते रहे। स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखण्ड के बच्चे, हिमालय जैसी विशालता, गंगा जैसी पवित्रता और सागर जैसी गहराई लिये जीवन में आगे बढ़े और पूरे विश्व में यह संदेश प्रसारित करे।
स्वामी जी महाराज ने छात्रों को स्वच्छता का महत्व समझाते हुये प्लास्टिक की वस्तुओं का प्रयोग न करने तथा गंगा के तटों को स्वच्छ रखने का संदेश दिया़।
जीवा की अन्तराष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि जीवन में संस्कारों का होना नितांत आवश्यक है। बचपन जीवन का सबसे बहुमूल्य समय होता है इस समय बच्चों के अन्दर जो संस्कार डाले जाये उसी के आधार पर उनके जीवन का निर्माण होता है अतः बच्चों का पालन सेवा, स्वच्छता, पर्यावरण एवं जल संरक्षण के संकल्पों एवं शिक्षा के साथ किया जाये तो भविष्य में और भी बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के सान्निध्य में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों एवं संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों ने पौधों का रोपण किया। स्वामी जी ने सभी को पर्यावरण एवं जल संरक्षण का संकल्प कराया।
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