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ये कहना है, उत्तराखंडी का जिसके पूर्वजो ने राज्य के लिए क्या नही किया?

पिछले दिन एम्स ऋषिकेश से निष्काषित पीड़ित कर्मचारियों में से आमरण अनशन में बैठे दीपक रयाल समर्थन में आये समर्थक व स्थानीय लोगो के सामने जब एम्स प्रशासन व निदेशक द्वारा हुई ज्यादतियो को बताने लगा ,तो अनशनकारी की आंखों में आंसू आ गए और वो भावुक हो उठा ।
कहा कि हम उत्तराखंड के मूल निवासी है हमारे पूर्वजों ने उत्तराखंड बनाने के लिए क्या नही किया और आज जब बात रोजगार की आयी तो हमें रोजगार देना तो दूर की बात हमारा रोजगार ही एम्स प्रशासन द्वारा छीन लिया गया ।
जिससे  हमारे परिवार की आर्थिक व  मानसिक स्थिति पर कुप्रभाव पढ़ा है। हमारे घर के चूल्हे जलना बन्द हो गए |
जिस कारण आज मैं  भी ,अपने सहयोगी कर्मचारियों के समर्थन में आमरण अनशन करने के लिए मजबूर हुआ ।जब तक शासन प्रशासन हमारी बहाली नही करेगा , यूँ ही आमरण अनशन में बैठूँगा व अपने प्राण त्याग दूंगा।
जिसकी समस्त जिम्मेदारी एम्स प्रशासन एवं सरकार की होगी जो हम बेरोजगारों के परिवार का दुख नही समझ रही है !

आमरण अनशन में दूसरे दिन भी दीपक रयाल निवासी स्यामपुर ऋषिकेश एवं समर्थक में अमित कंडियाल ,अजय बिष्ट, देवेश बहुगुणा ,मुकुल चौहान ,नवीन बहुगुणा, आशीष बलोनी,सुधीर बहुगुणा,सुमेर सिंह, राजमोहन , रमेश सेमवाल ,शैलेन्द्र पंवार ,गौरव कैंथोला, सौरभ राणाकोटी , लालमणी रतूड़ी , सुनील नेगी,अनिल सह-सचिव छात्र संघ नरेंद्रनगर, रवि रावत, मोहित डोभाल ,वेद मारवाड़ी ,आशीष रतूड़ी , कुसुम जोशी आदि  मौजूद रहे!

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