आचार्य देवेन्द्र प्रसाद भट्ट देहरादून उत्तराखंड
27 जुलाई की मध्यरात्रि में चन्द्रमा को ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण मकर राशि में लगेगा और इस समय चन्द्रमा के साथ भूमि पुत्र मंगल और पाप ग्रह केतु भी मौजूद होंगे। चन्द्रमा पर इस समय सूर्य, बुध और राहु की भी दृष्टि रहेगी। इन ग्रह योगों के अलावा यह ग्रहण भी बहुत लंबा होने वाला है करीब 4 घंटे का। ऐसे में इस ग्रहण का सभी राशियों पर अच्छा बुरा प्रभाव पड़ने वाला है। देखिए ग्रहण का आपकी राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
मेष राशिः
आपकी राशि से 10 घर में हो रहा ग्रहण नौकरी में परेशानी दे सकता है। कार्यक्षेत्र में सावधानी बरतें। सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा। जोखिम से बचें।
वृष राशिःtaurus
आपकी राशि से 9 वें स्थान में लग रहा ग्रहण भाग्य को प्रभावित करेगा। आपको बनते कामों में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। गुप्त चिंताएं बढ़ेंगी। संतान संबंधी विषयों को लेकर परेशान हो सकते हैं। गुरु की सेवा करें लाभ मिलेगा।
मिथुन राशिः
आपके लिए यह ग्रहण शुभ रहने वाला है। राशि से 8 वें घर में लग रहा यह ग्रहण आपको सुख प्रदान करने वाला है। आपकी चिंता और परेशानियां कम होंगी। स्वास्थय अनुकूल रहेगा। लाभ की प्राप्ति होगी।
कर्क राशिः
ग्रहण के दौरान कर्क राशि पर चन्द्रमा की सप्तम दृष्टि रहेगी। राशि से सातवें घर में हो रहा यह ग्रहण साझेदारी के काम में नुकसानदायक हो सकता है। जीवनसाथी को कष्ट होगा। सेहत का आपको ध्यान रखना होगा।
सिंह राशिः
आपकी राशि से छठे घर में हो रहा यह ग्रहण स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है। आपको सेहत का ध्यान रखना होगा। किसी बात को लेकर मन आशंकित रह सकता है। मानसिक परेशानी बढ़ सकती है।
कन्या राशिः
आपके लिए यह चंद्रग्रहण संकेत दे रहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में परेशानी आ सकती है। अपना व्यवहार संयमित रखें नहीं तो मान हानि हो सकती है। आपके खर्चे बढ़ेंगे व्यय पर नियंत्रण रखें।
तुला राशिः
आपके लिए साल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रहण शुभ रहने वाला है। आपके प्रयास सफल होंगे। कार्यों में सफलता मिलेगी। शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है।
वृश्चिक राशिः
राशि से तीसरे घर में लग रहा यह चंद्रग्रहण आपके लिए लाभप्रद रहेगा। आपको कहीं से अटका धन मिल सकता है। आर्थिक मामलों में प्रगति होगी।
धनु राशिः
राशि से दूसरे घर में लग रहा यह ग्रहण आपके लिए हानिकारक रह सकता है। आर्थिक मामलों में सावधानी बरतें नुकसान हो सकता है। यात्रा के योग बन रहे हैं, तैयारी करके रखें।
मकर राशिः
आपको जोखिम से बचना चाहिए। ग्रहण आपकी राशि में लग रहा है। आपकी मानसिक परेशानी बढ़ेगी। चोट लग सकती है। स्वास्थय संबंधी परेशानी महसूस करेंगे। आर्थिक कष्ट हो सकता है।
कुंभ राशिः
आपकी राशि से 12 वें घर में लग रहा यह चंद्रग्रहण आपके लिए अच्छा संकेत नहीं दे रहा है। आपको आर्थिक क्षेत्र में जोखिम से बचना चाहिए नुकसान हो सकता है। मानसिक कष्ट से अनिद्रा की शिकायत हो सकती है।
मीन राशिः
आपकी राशि से 11वें घर में लग रहा यह ग्रहण शुभ फलदायी है। आपको कहीं से धन लाभ मिल सकता है। नौकरी-व्यवसाय में उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। मान-सम्मान मिलेगा।
गुरू पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया, जाने क्या होगा प्रभाव आैर इस दिन का महत्व और कब आैर कैसे होगी पूजा गुरु पूर्णिमा की
.आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा का विधान होता है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है आैर इस दिन से आगामी चार महीने तक ब्राहम्ण आैर साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान बांटते हैं। इसी दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का भी जन्म हुआ था। व्यास जी संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इसलिए उनको वेद व्यास के नाम से भी बुलाया जाता है। वे आदिगुरु कहलाते हैं आैर उन्हीं के सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। इसी प्रकार सिख धर्म में भी इस पर्व का अत्याधिक महत्व है क्योंकि सिख धर्म में उनके दस गुरुओं का बेहद महत्व रहा है।
कब आैर कैसे होगी पूजा
गुरु पूर्णिमा की तिथि 27 जुलाई 2018 को है। इसी दिन रात्रि में इस सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण लग रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार चंद्र ग्रहण भले ही 27 जुलाई की रात में लग रहा है, लेकिन इसका सूतक काल दोपहर 2.55 पर प्रारंभ हो जायेगा। इसका अर्थ है कि गुरु पूजन इस समय से पहले ही करना होगा। इसके साथ ही 27 जुलाई को सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 बजे तक राहुकाल है। राहुकाल के दौरान भी गुरु पूजन नहीं किया जा सकता। ऐसे में गुरु की पूजा सुबह 5 बजे से लेकर सुबह 10:29 बजे तक या दोपहर 12:01 मिनट से 2:54 बजे तक ही कर सकते हैं। इस दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले सुुुुबह उठकर घर की साफ सफाई कर लें और फिर स्नान कर साफ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मंदिर में पटरे पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12 रेखाआें से व्यास पीठ बनाएं। उसके बाद दोनों हाथ जोड़कर इस मंत्र का जाप करें ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’। अब दसों दिशाओं में अक्षत यानि चावल छिंड़कें आैर व्यासजी, ब्रह्माजी, आैर अपने आराध्य गुरु के नाम से पूजा का आवाहन करें। अंत में गुरु अथवा उनके चित्र को प्रणाम करें।
सत्य नारायण की कथा में भी रखें कुछ बातों का ध्यान
पूर्णिमा के दिन बहुत से लोग भगवान सत्य नारायण का व्रत आैर पूजन करते हैं। इस बार भी आषाढ़ी पूर्णिमा को भक्त इस कथा आैर व्रत को करेंगे। अत: इस दिन पूजन से पूर्व उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। एक तो सूतक काल के पूर्व ही कथा करना अनिवार्य है। सामान्य रूप से पूर्णिमा की कथा प्रदोष काल में करना सर्वोत्म माना जाता है, परंतु इस बार एेसा करना उचित नहीं होगा क्योंकि उस समय ग्रहण का सूतक काल प्रारंभ हो चुका होगा। इसलिए कथा करने वाले या तो प्रात:काल ही पूजा सम्पन्न कर लें या फिर निम्नलिखित विधान से कथा करें क्योंकि ग्रहण की अवधि में र्इश्वर का ध्यान करना सामान्य प्रक्रिया है।
इस तस्वीर में दिए गए श्लोक के अनुसार सूतक काल में सत्य नारायण की कथा करने वाले व्यक्ति को पूजन के ठीक पूर्व स्नान करना चाहिए आैर फिर कथा पर बैठना चाहिए। साथ ही इस दिन भगवान के भोग में पके हुए अन्न का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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आचार्य देवेन्द्र प्रसाद भट्ट (देव जी भट्ट) निवास पाली बागी निकट बागेश्वर महादेव मन्दिर भोगपूर रानीपोखरी देहरादून उत्तराखंड
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