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छतरपुर/ म. प्र:
 डा. रवीन्द्र अरजरिया

वार्ता मंच पर संयुक्त भागीदारी ने दिया एकजुटता का संदेश


छतरपुर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के आपसी मतभेदों को समाप्त करने की गरज से प्रारम्भ की गई “एकता यात्रा” का बुंदेलखण्ड में ओरछा धाम से शुभारम्भ करते ही यात्रा प्रभारी दिग्विजय सिंह एक बार फिर विवादों में घिर गये।
 क्षेत्र के प्रसिद्ध आराध्य स्थल राम राजा मंदिर परिसर में पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता को डांटने, मांफी मांगने के लिए बाध्य करने जैसी घटनाओं के सामने आते ही मीडिया ने सुर्खियां बनाना शुरू कर दिया। घटना की वस्तु स्थिति को स्पष्ट करते हुए श्री सिंह ने टौरिया हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि ओरछा के राम राजा मंदिर परिसर में भगवान के सामने हमारे जिन्दाबाद के नारा बुलंद करने वाले कार्यकर्ता को हमने अपना परिवारजन होने नाते सीख दी थी। भगवान से माफी मांगने के लिए कहा था। जहां हम स्वयं अपने आस्था को सुमन चढाने गये हों वहां भगवान के अलावा किसी अन्य का महात्व नगण्य हो जाता है। जिस ढंग से उस घटना को प्रस्तुत किया जा रहा है वह उचित नहीं है।
कांग्रेस पार्टी के आम कार्यकर्ता से लेकर कद्दावर नेताओं तक की वैचारिक भिन्नताओं को हाशिये पर पहुंचाकर एक जुट करने के प्रयासों का परिणाम दिखाने की गरज से पूर्व सांसद सत्यवृत चतुर्वेदी के आवास "टौरिया हाउस" में पत्रकार वार्ता आयोजित की गई।
 वार्ता के मंच पर पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह “मुन्ना राजा”, राजनगर विधायक कुंवर विक्रम सिंह “नाती राजा”, आलोक चतुर्वेदी “पज्जन भइया” मौजूद रहे, वहीं कार्यक्रम का आगाज सत्यवृत चतुर्वेदी “विनोद भइया” ने किया। आगामी चुनावों के लिए वातावरण निर्मित करने के उद्देश्य से पार्टी की समन्वय समिति ने “एकता यात्रा” का आयोजन किया है जिसमें वैचारिक मतभेदों को समाप्त करके भितरघात की स्थिति को नियंत्रित करना, भाजपा सरकारों की खामियां और कांग्रेस सरकारों की उपलब्धियां प्रकाशित करना, वर्तमान स्थितियों की धरातली समीक्षा करना जैसे कारक शामिल किये गये हैं।
नर्मदा यात्रा के दौरान वृक्षारोपण के कागजी और वास्तविक स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करते हुए श्री सिंह ने कहा कि पूरी योजना में मनरेगा का पैसा लगा दिया गया है। घोटालों की भेंट चढ चुकी इस योजना की उपलब्धियां मात्र कागजी आंकडों तक सिमिट कर रह गयीं है। यही हाल अन्य योजनाओं का भी है। प्रदेश के अन्नदाता का आक्रोश प्रस्तावित किसान आंदोलन के रूप में फूटने वाला है जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भागीदारी दर्ज करेंगे। पिछले चुनावों में निर्दलीय चुनाव लडने वाले पार्टी के निष्कासित कार्यकर्ताओं  की घर वापसी के लिए एक समिति बना दी गई है जिसमें आवेदन प्रस्तुत करके पहल की जा सकती है।
पार्टी की बागडोर नेहरू-गांधी परिवार के हाथों में रहने की परिवारवादी नीति पर पूछे गये प्रश्न के जबाब में उन्होंने सभी को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लडने की सुविधा का हवाला दिया तभी राहुल गांधी के विरोध में उतरने वाले एक साधारण कार्यकर्ता को रेखांकित करते हुए एक अन्य पत्रकार ने स्पष्टीकरण मांगा तो श्री सिंह उसे टाल दिया। वहीं राम मंदिर का विवादित मुद्दा और ओरछा के राम राजा मंदिर से यात्रा का शुभारम्भ करने की मंशा पर पूछे गये सवाल के जबाब में उन्होंने अतीत की यात्राओं का हवाला देते हुए विश्व हिन्दू परिषद को ही कटघरे में खडा करने का प्रयास किया। छतरपुर में लम्बे समय से चल रहे मेडिकल कालेज के मुद्दे पर उन्होंने इसको अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने की बात कही। वार्ता के दौरान वे अधिकांश प्रश्नों से बचते नजर आये।
पार्टी की नीतियों और रीतियों का खाका प्रस्तुत करने में पत्रकार वार्ता भले ही असफल रही हो परन्तु आंतरिक कलह से जूझ रही पार्टी के विभिन्न कद्दावर नेताओं की वार्ता मंच पर संयुक्त भागीदारी ने एकजुटता का संदेश देकर दिग्विजय सिंह की पहल को सार्थक अवश्य बना दिया। पार्टी के विभिन्न खेमे फिलहाल एक साथ खडे दिखाई देने लगे हैं, यदि यही स्थिति चुनाव तक बनी रहे और चुनावी समर में संयुक्त रूप से ईमानदाराना प्रयास किये जायें, तो सफलता का प्राप्त करने की संभावना प्रबल हो जायेगी।  



Dr. Ravindra Arjariya
Accredited Journalist
ravindra.arjariya@yahoo.com
+91 9425146253

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