चाका/नरेंद्रनगर;
बड़े ही शर्म की बात है कि राज्य के नौनिहाल बिना छत के स्कूल में पढ़ने को मजबूर है। सूत्रों के अनुसार राजकीय प्राथमिक विद्यालय, लवा, चाका, ग्रामसभा लवा कविली, विधानसभा नरेंद्रनगर में स्थित है।
जून की तपती गर्मी में ये हाल है कि बच्चे धूप में पढ़ने को मजबूर है। लगता है स्कूल के प्रांगण में कोई वृक्ष भी नही है तभी तो मय अध्यापक बच्चे धूप में पढ़ रहे है। कमोबेश ये बात अलग है कि स्कूल की छत ही नही है। ठेकेफर को 19 जनवरी 2018 से कार्य परम्भ करने को कहा गया था जो कि जून 2018 तक पूरा हो जाना था। परंतु काम शुरू ही नही हुआ तो पूरा कैसे होगा? ठेकेदार का कहना है उसे कार्य करने के लिए धनराशि जारी भी हुई है।
जब इस समस्या की सूचना सुरेश रंगीला निवासी ग्राम लवा के द्वारा फ़ोन पर आशीष रणाकोटी ज़िला अध्यक्ष ईंटक टिहरी गढ़वाल को दी गई तो तत्काल आशीष रणाकोटी ने DEO बेसिक टिहरी से बात कर के समस्या से अवगत कराया, DEO टिहरी ने समस्या का हल करने का आश्वासन दिया।
सवाल यह भी उठता है, कि छोटे- बड़े निर्माण भी वैध अवैध तरीकों से 15 दिन में पूरे हो जाते है तो स्कूल की छत बनाने के लिए ठेकेदारों को इतना समय 05 महीने का क्यों दिया गया?
सरकार जहां विद्यालयों के लिए प्रयासरत है, वहीं ऐसी भूल -चूक का जिम्मेदार कौन है, ये जानना अति आवश्यक है।
जून की तपती गर्मी में ये हाल है कि बच्चे धूप में पढ़ने को मजबूर है। लगता है स्कूल के प्रांगण में कोई वृक्ष भी नही है तभी तो मय अध्यापक बच्चे धूप में पढ़ रहे है। कमोबेश ये बात अलग है कि स्कूल की छत ही नही है। ठेकेफर को 19 जनवरी 2018 से कार्य परम्भ करने को कहा गया था जो कि जून 2018 तक पूरा हो जाना था। परंतु काम शुरू ही नही हुआ तो पूरा कैसे होगा? ठेकेदार का कहना है उसे कार्य करने के लिए धनराशि जारी भी हुई है।
जब इस समस्या की सूचना सुरेश रंगीला निवासी ग्राम लवा के द्वारा फ़ोन पर आशीष रणाकोटी ज़िला अध्यक्ष ईंटक टिहरी गढ़वाल को दी गई तो तत्काल आशीष रणाकोटी ने DEO बेसिक टिहरी से बात कर के समस्या से अवगत कराया, DEO टिहरी ने समस्या का हल करने का आश्वासन दिया।
सवाल यह भी उठता है, कि छोटे- बड़े निर्माण भी वैध अवैध तरीकों से 15 दिन में पूरे हो जाते है तो स्कूल की छत बनाने के लिए ठेकेदारों को इतना समय 05 महीने का क्यों दिया गया?
सरकार जहां विद्यालयों के लिए प्रयासरत है, वहीं ऐसी भूल -चूक का जिम्मेदार कौन है, ये जानना अति आवश्यक है।
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