रुद्रप्रयाग;
से भूपेंद्र भंडारी
पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार, गमगीन हुआ पूरा गांव
"बच्चों का ख्याल रखना" ये थे अतिम शब्द उस बीर जवान के जिसने गोली लगने के बाद भी अपनी पत्नी को आखिरी शब्द बोले।
आतंकी हिंसा से पहले विडियो कालिंग कर अपने परिवार की कुशल क्षेम पूछी और पत्नी को बार्डर पर चल रहे तनाव की बातें बताई।
छठी गढवाल राइफल का वीर जवान व रुद्रप्रयाग जनपद के कविल्ठा गांव निवासी मान्वेन्द्र रावत की आज उनके पैतृक गांव कविल्ठा में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अतिंम यात्रा निकाली गयी। तिरंगे में लिपटा शरीर जैसे ही गांव में उतरा तो चारों तरफ सिर्फ चीखें ही सुनाई दी। हजारों की संख्या में स्थानीय लोग पहले से ही शव आने का इंतजार कर रहे थे। शव को पहले तो शहीद के घर ले जाया गया। जहां पहले से बेसुध चल रहे शहीद के माता पिता व पत्नी के साथ ही पूरे गांव में कोहराम मच गया। किसी तरह नम आंखों से शहीद की शव यात्रा निकाली गयी।
पैतृक गांव पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद मानवेन्द्र को अंतिम विदाई दी गयी। इस दौरान पूरा माहौल गमगीन था और आक्रोशित लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाये।
बता दें कि शहीद के पिता भी छटवीं गढवाल राइफल में 25 साल तक अपनी सेवाएं दे चुके थे और अब पैरालाइसेस की बीमारी से ग्रस्त हैं। माता पिता के साथ ही शहीद की एक 6 बर्षीय बेटी व 3 बर्षीय बेटा है जिन्हें अभी कुछ पता ही नहीं है कि अखिर उनकी मां और पूरा गांव क्यों रो रहा है। शहीद का एक और भाई है जो कि दिमागी बीमारी से ग्रसित है और पांच बहिनें भी हैं। सभी का रो रो कर बुरा हाल हो चुका है क्यों कि परिवार में एकमात्र कमाउ बेटा मानवेन्द्र ही था। शहीद का परिवार देहरादून में ही रहता है। मौसम खराब होने के कारण शव समय पर गांव नहीं पहुच पाया। बुद्वबार को जम्बू के बांदीपुरा में आतंकी हमले के दौरान मानवेन्द्र को गोली लग गयी थी जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गयी।
विधायक केदारनाथ, मनोज रावत ने कहा कि पहाड़ के लिए यह गर्व की बात है कि जवान ने देश की रक्षा करते है प्राण दिए है परंतु अफसोस है कि आतंकियों की बेज़ा हरकतों के चलते जवानों को अपने प्राण खोने पड़ रहे है।इस अवसर पर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल भी उपस्थित थे उन्होंने जवान को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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