डोईवाला;
सरकार द्वारा चीनी मिल कर्मचारियो के वेतन में कटौती को लेकर आज चीनी मिल कर्मचारियी ने डोईवाला चीनी मिल गेट के बाहर धरना प्रदर्शन किया और गन्ना सचिव प्रदीप रावत का पुतला फूंका ।
श्रमिक नेता विनोद शर्मा ने बताया कि पिछली कोंग्रेस सरकार ने चीनी मिल कर्मचारियो के वेतन में बढ़ोतरी की थी जो कि त्रिदलिय कमेटी के द्वारा वेतन में बढोतरी का लाभ मिला था मगर वर्तमान सरकार ने अप्रेल 18 से उस बढे हुवे वेतन मान को एक तरफ से खारिज कर दिया चीनी मिल मजदूर संघ के महासचिव गोपाल शर्मा ने कहा ही वेतन के साथ साथ ओर भी कई सुविधाये सरकार ने समाप्त कर दी है केमचरियो को मिलने वाली मेडिकल सुविधा छुटियो का पैसा ,मृतक आश्रितो को मिलने वाली नोकरी,एरियर,मकान,बिजली की आदि कई सुविधा सरकार ने समाप्त कर दी है जिसका हम पुरजोर विरोध करते है कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष मनोज नोटियाल ने कहा कि मजदूरो का वेतन काटना बहुत गलत है जबकि सरकार विधायको ओर मंत्रियों के वेतन बढ़ाये जा रही है कोंग्रेस सरकार के समय मे दी गई सारी सुविधाएं भाजपा सरकार खत्म करती आ रही है जबकि चीनी मिल कर्मचारियो को सुविधा के नाम पर कुछ नही मिलता वरिष्ठ नेता मोहित शर्मा ने कहा कि भाजपा हमेसा से ही मजदूर विरोधी रही है जिस प्रकार चीनी मिल कर्मचारियो के वेतन में कटौती के है या बहुत ही गलत है इस प्रकार के फैसले लेना हिटलर साहि को दरसाता है गोरव मल्होत्रा ओर विक्रम सिंह नेगी ने भी सरकार के इस निर्णय की घोर निंदा की उन्होंने कहा कि जब तक सरकार अपने निर्णय को वापस नही लेती हम चीनी मिल कर्मचारियो के साथ मिल कर आंदोलन करेंगे उन्होंने कहा कि कोंग्रेस ने दिया भाजपा छीन रही जो कि गलत है पुतला फूंकने वालो में विजय शर्मा,कृष्ण पाल शर्मा, अरविंद शर्मा, सुषमा चौधरी राकेश कोठारी,प्रभुं नाथ,नरेस कुमार, विजय बाली,विजय श्रीवास्तव, प्रताप रावत,राम मिलन,राजेश सैनी, सतनाम सिंह,रमेश कुमार,अवतार सिंह,भूपेंद्र सिंह,मदन मोहन बिल्जवांन,नीना सन्धु,आदि सेकड़ो कर्मचारी मौजूद थे
ज्ञात हो कि गन्ना मिल कर्मचारियों का दो माह से वेतन रुका हुआ है, साथ ही पिछले वर्ष 2017 का रिटेनिंग भी बकाया है। उस पर परसों गन्ना विभाग की बैठक में चीनी मिलों को ऋण स्वरूप कुछ रुपया आवंटित किया गया ताकि कर्मचारियों का वेतन और रिटेनिंग दिया जा सके।
परंतु इसके साथ ही सरकार ने 2015 में जारी किए गए पुनिरिक्षित वेतनमान को स्थगित करने के निर्देश जारी किए है। ऐसे में कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो गया है कि बढ़े हुए वेतन को सरकार काटने पर क्यों तुली है?
इसके अतिरिक्त गणना प्रबंधन को ये भी निर्देश है कि चीनी मिल की वितीय स्थिति को ठीक किया जाए वरना , मिल को बन्द भी किया जा सकता है। सरकार ने मिल कर्मचारियों को मिलनेवाले एरियर, आकस्मिक अवकाश, मेडिकल, भत्ते इत्यादि को बंद कर देने के निर्देश भी दिए और घरों का किराया और बिजली के बिल हेतु मीटर लगाने के आदेश भी दिए।
जबकि आपको बता दें कि मिल में अफसरों का वेतनमान जस का तस है, उनके लिए कोई आदेश जारी नही हुआ है।
कुछ सुसंगत बातों को छोड़कर सरकार की ये बातें समझ से परे है कि मिल के घाटे को उबरने के लिए सरकार की आंख उस समय पर क्यों नही खुलती, जब शीरे और खोई को मिट्टी के भाव नीलाम किया जाता है।
एथेनॉल प्लांट लगाने की मात्र बातें ही होती रही परंतु कोई ठोस पहल नही दिखाई दी। गन्ने की रिकवरी के लिए मजबूत मशीनरी और बेहतर प्रबंधन की समीक्षा पेराई सत्र शुरू होने से पहले क्यों नही की। और कृषि पर निर्भर रहनेवाले काश्तकारों को गन्ने की फसल को बेहतर बनाने के के गुर क्यों नही दिए जाते ताकि गन्ना उत्पादन बेहतर हो। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या मिलों को बंद कर देना समस्या का हल है।
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