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वीरांगना तीलू रौतेली पुरस्कार 2017-18 के लिये तत्कालीन जिलाशिक्षाधिकारी, हरिद्वार व मौजूदा उपनिदेशक, एससीईआरटी, देहरादून डॉ. पुष्पारानी वर्मा ,किसी प्रेरणा से  कम  नहीं  है, मातृशक्ति  का  जीता  जगता  उदाहरण है--- 

विदित हो कि सामाजिक बंधन व परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते पढ़ाई से विमुख हो चुकी बालिकाओं और युवतियों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाना किसी चुनौती से कम नहीं है। कम से कम किसी सरकारी अफसर के लिए तो यह खासा मुश्किलों भरा काम है।
बावजूद इसके डॉ. पुष्पारानी वर्मा का जुनून अपनी जगह है। उनके पास एक ओर शिक्षाधिकारी का दायित्व है तो दूसरी ओर सामाजिक सरोकारों का जिम्मा। फिर भी उन्होंने दोनों के बीच समन्वय स्थापित कर लोगों को शिक्षा की दहलीज पर लाने के लिए जनसहभागिता से विगत कई वर्षो में रूडकी/हरिद्वार मे कई शालाघरों का निर्माण कराया। 
वर्तमान में डॉ. पुष्पारानी वर्मा के नाम से करीब-करीब जिले की हर सामाजिक संस्था व जनप्रतिनिधि परिचित है। उन्होंने शालाघर प्रोजैक्ट के तहत सबसे पहले स्कूल छोड़ चुकी छात्राओं को एक मुहिम के तहत मोटीवेट कर स्कूल की दहलीज पर लाने का प्रयास किया।
यह मुहिम कुछ हद तक सफल भी रही। लेकिन, कुछ ऐसी बालिकाएं व युवती शामिल भी थीं, जिनके परिजन उनकी पढ़ाई में नाममात्र को भी रुचि नहीं ले रहे थे। सो, डॉ.पुष्पारानी वर्मा ने इन बालिकाओं को भी शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की ठान ली। उन्होंने स्वयं ग्राम प्रधानों और आसपास के प्रतिष्ठित लोगों से संपर्क कर शालाघरों का निर्माण कराया।
धीरे-धीरे मुहिम रंग लाने लगी और वर्तमान में तीन शालाघरों से 150 बालिकाएं व युवतियां जुड़ चुकी हैं। उन्हें वह स्वयं एवं जनसमूहों के सहयोग से पठन-पाठन का कार्य करा रही हैं। साथ ही उन्हें हुनरमंद बनाने के भी प्रयास जारी हैं।

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