Halloween party ideas 2015



रुद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भंडारी  


सबसे अधिक उंचाई पर स्थित प्रसिद्ध व शिव धाम व तीसरे केदार के रुप में विख्यात भगवान तुंगनाथ के पैदल मार्ग पर आज भी नागरिक सुविधाएं नहीं जुट पायी हैं। करीब साढ़े  तीन किमी के अति दुर्गम व चढाई भरे रास्ते पर ना तो कहीं पीने के लिए पेयजल की ब्यवस्था है और ना ही कहीं शौचालय व स्ट्रीट  लाइटें। यही नहीं रैन बसेरों के अभाव में तीर्थ यात्रियों को भारी बारिश में भी पैदल यात्रा के लिए मजबूर होना पडता है।
 केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अर्तंगत मिनी स्विट्ज़रलैंड के रुप में विख्यात चोपता से साढे तीन किमी की दुर्गम चढ़ाई  पर भगवान का यह धाम मौजूद है यहां पर भगवान शिव के बाहु भाग की पूजा होती है और इन्हें तुंगनाथ के रुप में तृतीय केदार के रुप में पूजा जाता है। स्थानीय विधायक स्वीकार तो करते हैं कि यहां पर नागरिक सुविधाएं नहीं हैं और स्थानीय प्रशासन भी इन चीजों को मानता है मगर आस्था की इस महायात्रा में तीर्थयात्रियों को सुविधाएं दिलाने के नाम पर हर कोई चुप ही है। यह धाम शैलानियों व ट्रेकर  के लिए आकर्षण का मुख्य केन्द्र भी है। और शीतकाल में यहां सैलानी चन्द्रशिला व उच्च क्षेत्रों में टे्किंग, बर्फवारी, बुग्यिाल व बर्डवाचिंग के लिए बडी तादाद में आते है।

 जिला प्रशासन हो या फिर प्रदेश की सरकारें हर किसी का ध्यान महज केदारनाथ पर ही टिका रहता है जबकि  जिले में तुंगनाथ व मदमहेश्वर भी प्रशिद्व धाम हैं जिनकी मान्यता पंचकेदारों में है एब ऐसे में इन धामों की सुध कौन लेगा और यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को सुविधाएं कैसे मिल पायेंगी यह सवाल आज भी अनसुलझा है कि आखिर धर्म व पर्यटन की बातें करने वाली सरकारें क्यों इन मठ मन्दिरों में भी मतभेद कर रही हैं।

एक टिप्पणी भेजें

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.