Halloween party ideas 2015

 टिहरी महोत्सव मात्र दिखावा बनकर रह गयी जहाँ, लोगों को उम्मीद थी की कैबिनेट की बैठक में उनके बुनियादी मुद्दों से संबंधित फैसले  लिए जायेंगे, वहीँ उन्हें निराशा हाथ लगी. 

 

महोत्सव के पीछे क्या है, खुशी या गम इसी का विश्लेषण किया गया है ---

  

  • टिहरी बांध प्रभावित 17 गांव के 415 परिवारों और पुरानी टिहरी विस्थापितों की समस्याओं के निस्तारण के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया ,बांध प्रभावितों का विस्थापन, हनुमंत रावत कमेटी की सिफारिशों पर नई टिहरी में निशुल्क पानी, बिजली उपलब्ध कराने सहित जनहित के 15 कार्य पूरे करने की ओर कोई ध्‍यान ही नहीं गया; 
जबकि   टिहरी बांध से उत्तराखंड की सरकार को 12 प्रतिशत की रॉयल्टी की धनराशि प्राप्त होती और इस धनराशि का 50 प्रतिशत अंश टिहरी के विकास पर खर्च किया जाता ,तो सूरत कुछ और होती टिहरी की
पूरे देश को जो पानी पिला रहे है, उन लोगों को सुचारू पेयजल उपलब्ध करवाने में सरकार पूरी तरह विफल है।

 
पर्यटन मंत्री जी कहते है कि हमने बाहर से ब्‍लागर बुलाये है, परन्‍तु पर्यटन मंत्री जी को बालगंगा और भिलंगना के क्षेत्र में भी सरकार को पर्यटन गतिविधि बढ़ानेे की ओर योजना बनाने का ध्‍यान नही रहा। भूल गये कि
विस्थापन न होने से टिहरी बांध प्रभावितों में भारी रोष व्याप्त है। टिहरी बांध के कारण 17 गांवों के 415 परिवार खतरे के साये में जीने को मजबूर हैं। भू-धंसाव और पानी की समस्या से ग्रामीण परेशान हैं। टिहरी बांध प्रभावित उठड़, पयालगांव, नौताड़, नंदगांव, रौलाकोट, गडोली, भटकण्डा, चोपड़ा, पिपोलाखाल आदि के ग्रामीण  कलक्ट्रेट में धरना दे रहे हैं ।  नारेबाजी करते हुए जल्द विस्थापन की मांग कर रहे हैं ।  

सोहन सिंह राणा बताते हैं  कि वर्ष 2010 में टिहरी बांध झील का जलस्तर आरएल 830 मीटर से अधिक बढ़ने पर झील से लगे क्षेत्र में भू-धंसाव की समस्या उत्पन्न हुई थी। तब सरकार ने समस्या को देखते हुए विशेषज्ञ समिति से भिलंगना व भागीरथी घाटी के 45 गांवों का निरीक्षण कराया। जिसके बाद भिलंगना घाटी में 9 और भागीरथी घाटी में 8 गांव समेत कुल 17 गांवों के विस्थापन की संस्तुति विशेषज्ञ समिति द्वारा की गयी। लेकिन आज तक भी प्रभावित परिवारों का विस्थापन नहीं ही हो पाया है। उन्होंने डीएम व पुनर्वास निदेशक को ज्ञापन प्रेषित कर प्रभावित 415 परिवारों का विस्थापन करने, आंदोलनकारी ग्रामीणों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने, विस्थापन प्रक्रिया को प्रारंभक करने की मांग की। लेकिन कुछ नही हो पाया- टिहरी बांध प्रभावित और विस्थापितों की समस्याये आज भी जस की तस है। टिहरी की ज्वलंत समस्याओं का आज तक निराकरण नही हो पाया,
वही दूसरी ओर टिहरी जनपद में भयावह समस्‍याये हैं, जिसकी ओर कभी ध्‍यान नही दिया गया। टिहरी झील और जिले में विकास का अध्याय आज तक शुरू ही नही हो पाया, टिहरी जनपद पर विस्‍तार से एक रिपोर्ट


ग्रामीण अपनी आवाज उठाकर हक मांगते है तो तुरंत मुकदमे दर्ज #बूंद बूंद पानी के लिए तरसते टिहरी जनपद वासी
टिहरी बांध से प्रभावित ग्राम उप्पू तल्ला, नंदगांव, उठड़, पिपोला, भटकंडा, मदननेगी व रैका के गांवों का पुनर्वास आज तक नही हो पाया#  जिन परिवारों की परिसंपत्तियों का भुगतान आज तक नही हो पाया

टिहरी बांध से उत्तराखंड की सरकार को 12 प्रतिशत की रॉयल्टी की धनराशि प्राप्त होती है#  इस धनराशि का 50 प्रतिशत अंश टिहरी के विकास पर खर्च किया जाता
टिहरी झील महोत्सव के नाम पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर ही हैलेकिन झील से प्रभावित 17 ग्राम पंचायतों में निवासरत 415 परिवारों का पुनर्वास करने के लिए सरकार के पास बजट का अभाव बना हुआ है

  • टिहरी बांध की विशालकाय झील से देश के विभिन्न क्षेत्र में पानी व बिजली की आपूर्ति की जा रही है। वहीं टिहरी के लोगों को पानी व बिजली के संकट से जूझना पड़ रहा
 पूरे देश को जो पानी पिला रहे है, उन लोगों को सुचारू पेयजल उपलब्ध करवाने में सरकार पूरी तरह विफल है।
 टिहरी झील के कारण इन गांवों में मकानों में दरारें पड़ी हैं और भूस्खलन हो रहा है। इससे ग्रामीण खतरे में जी रहे है
415 परिवारों के विस्थापन के लिए सरकार ने कई बार घोषणा कर दी लेकिन अभी तक विस्थापन नहीं हो पाया है
सात सालों से ग्रामीणों विस्थापन की मांग कर रहे हैं
 वर्ष 2016 में विस्थापन के लिए जमीन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया लेकिन पुनर्वास निदेशालय की लापरवाही के कारण अभी तक केंद्र सरकार की आपत्तियों का निराकरण नहीं किया गया है।आंशिक डूब क्षेत्र संघर्ष समिति के बैनर तले बांध प्रभावित उक्त गांवों के लोग पुनर्वास करने की मांग को लेकर 23 मई से पुनर्वास निदेशालय में धरने पर बैठे हुए हैं। शुक्रवार को आंदोलनकारी समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा के नेतृत्व में कोटी कालोनी स्थित टिहरी झील महोत्सव के पंडाल में जा घुसे। कुछ देर तक वे पंडाल के अंदर मुख्यमंत्री के इंतजार में शांत होकर बैठे रहे। जब मुख्यमंत्री नहीं पहुंचे तो अपराह्न 2.30 बजे बांध प्रभावितों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। एसडीएम ने समिति के अध्यक्ष का हाथ पकड़ा तो महिलाओं ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान आंदोलनकारियों और प्रशासन के बीच जमकर झड़पें हुईं। बाद में पुलिस की मदद से प्रशासन ने सभी आंदोलनकारियों को पंडाल से बहार कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि टिहरी झील महोत्सव के नाम पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर ही है, लेकिन झील से प्रभावित 17 ग्राम पंचायतों में निवासरत 415 परिवारों का पुनर्वास करने के लिए सरकार के पास बजट का अभाव बना हुआ है। कहा कि पुनर्वास न होने तक आंदोलन चलता रहेगा। प्रदर्शन करने वालों में ग्राम प्रधान प्रदीप भट्ट, दलवी देवी, धनपाल बिष्ट, जगदंबा सेमवाल, नीलम रावत, रेखा देवी, रुकमणि देवी, लक्ष्मी देवी, सुनीता, बसंता देवी, कांता देवी, उम्मेद सिंह, राम सिंह व विजयराम भट्ट आदि शामिल रहे।

  • आग में झुलस रहा है टिहरी जिला जिसमे   जंगलों की आग थमने को नहीं है। जौनपुर, भिलंगना और थौलधार ब्लॉक के जंगलों में लगी आग विकराल होती जा रही है। भिलंगना के नैलचामी, मुयालगांव, द्वारी, मंज्याड़ी, चामी और जौनपुर के धनोल्टी, कंचनपुर, भवान के जंगलों में बृहस्पतिवार रात से आग भड़की हुई है। धनोल्टी रेंज के जंगल में आग बुझाने के प्रयास में वन दरोगा किशन सिंह के बाल झुलस गए। इधर, साड़ो और कंडी के जंगलों में शुक्रवार सुबह से आग धधकी हुई है। यहां इस फायर सीजन में दूसरी बार आग लगी है। रेंज अधिकारी आशीष डिमरी का कहना है कि जंगलों में लगी आग बुझाने का प्रयास किया जा रहा है।
नई टिहरी जिले में कई स्थान वनों की आग की चपेट में हैं। कुछ स्थानों पर तो पांच दिन से आग भड़की है। आग के कारण तापमान बढ़ने के साथ ही आसपास धुंध छाई हुई है। जिला मुख्यालय के समीप बुडोगी के जंगल में आग लग गई। विकास खंड भिलंगना के जंगलों में पिछले एक सप्ताह से भीषण आग लगी हुई है। लेकिन वन महकमा इस पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रहा है। विभाग इस मात्र बर्न कंट्रोल कर अपने कार्यो की इतिश्री कर रहा है। आग के कारण पूरे इलाके मे धुआं फैल गया है। विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। ब्लॉक भिलंगना मे वन रेंज, जखन्याली, ढाबसौड़ द्वारी, मुयालगांव, बनचुरी, सेमलथ, तोणखंड, सौड भिलंग, फलेंडा, घनसाली,, पौखाल, सहित बाल गंगा रेंज के जंगल पिछले एक सप्ताह से भीषण आग की चपेट में है। आग के कारण जहां-जहां वन संपदा जल कर नष्ट हो रही है। वही पेयजल स्त्रोतों पर भी इस का बुरा असर देखने को मिल रहा है। वनों की आग से पेयजल स्त्रोत पर भी पानी की कमी होने लगी है। आग के कारण पूरे क्षेत्र में वातावरण पूरी तरह से दूषित हो गया है। सबसे अधिक अस्थमा के रोगियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
  • अनुसूचित जाति के परिवारों की समस्याओं को कोई सुनने को तैयार नही–
श्रीनगर जल विद्युत परियोजना से प्रभावित ग्राम सभा मंगसू, गुगली व थलीसैंड के अनुसूचित जाति के परिवारों की समस्याओं के निराकरण को लेकर कलक्ट्रेट में क्रमिक अनशन जारी रहा। ग्रामीणों ने समस्या का निस्तारण नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना से प्रभावित ग्रामीण मांग को लेकर धरने पर बैठे है। समस्या का निस्तारण नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने क्रमिक अनशन शुरू कर दिया था जो जारी रहा।  
  • टिहरी जनपद में स्‍कूलो की दशा--

 राइंका भट्टगांव का भवन जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है और यह भवन जूनियर स्तर के भवन पर संचालित हो रहा है। यहां जगह की कमी बनी होने से पठन-पाठन भी प्रभावित हो रहा है। पट्टी आरगढ़ व गोनगढ़ के कई गांवों में अभी तक खेतों की सिंचाई के लिए टैंकों की व्यवस्था नहीं है। लोदस पेयजल योजना निर्माण की ग्रामीण लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं, क्योंकि उक्त गांव में पानी की समस्या बनी है। वहीं भट्टगांव-चौढार मोटर मार्ग की मांग भी पुरानी है।

नई टिहरी: 
जिले में अभी भी 359 प्राथमिक एवं जूनियर विद्यालयों में बिजली की सुविधा नहीं है, जिससे छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां वर्षों से विद्युत संयोजन नहीं लगाए गए हैं, जबकि विद्यालय में पानी, शौचालय, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का होना जरूरी है। इसके बावजूद कई विद्यालय बिजली की राह ताक रहे हैं। बिजली न होने से कई जगह छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा का ज्ञान भी नहीं मिल पा रहा है।
शिक्षा के इस आधुनिक दौर में सरकारी विद्यालय सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। जिले में 1776 प्राथमिक विद्यालय जबकि 350 जूनियर विद्यालय हैं। इनमें से अभी तक 359 जूनियर व प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां बिजली की सुविधा तक नहीं है। इनमें सबसे ज्यादा सर्वाधिक 77 विद्युत विहीन विद्यालय प्रतापनगर में हैं। विद्यालयों में बिजली की सुविधा न होने के कारण कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सरकार शिक्षा में सुधार की बात तो करती है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है, जबकि विद्यालयों में अनिवार्य बुनियादी सुविधाओं में बिजली का होना भी जरूरी है। बिजली न होने के कारण बरसात के समय में जब कमरों में अंधेरा होता है। ऐसे में पठन-पाठन में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं, छात्रों को तकनीकी शिक्षा भी नहीं मिल पाती है। विद्यालय में सुरक्षा के लिहाज से भी बिजली का होना जरूरी है। खासकर दूर के विद्यालयों में यह समस्या बनी हुई है। अब देखना यह है कि इन विद्यालयों में कब तक बिजली पहुंच पाती है।
नई टिहरी जिले में अभी तक 272 प्राथमिक व जूनियर विद्यालय क्षतिग्रस्त की श्रेणी में है। इनमें से कुछ विद्यालय की स्थिति जर्जर है। इनमें सबसे ज्यादा भिलंगना में 47 विद्यालय है। इनमें से ऐसे विद्यालय में भी जो लंबे समय से खस्ताहाल हैं, लेकिन अभी तक इनकी मरम्मत नहीं हो पाई है। यह भवन नौनिकालों के लिए खतरा बने हुए है।
जिले में 1476 प्राथमिक विद्यालय हैं जिनमें से कुद विद्यालय भवनों के मरम्मत व नव निर्माण के लिए धनराशि मिल चुकी है जबकि अभी भी 272 प्राथमिक व जूनियर विद्यालय क्षतिग्रस्त हैं जो मरम्मत की बाट जो रहे हैं। इनमें से भी कुछ की स्थिति काफी खराब है। प्राथमिक विद्यालय चकरेड़ा भी ऐसे ही विद्यालयों में इस विद्यालय भवन की स्थिति जर्जर बनी है। बरसात में छात्र सहमे रहते हैं,लेकिन अभी तक इसकी मरम्मत नहीं हो पाई है। इस तरह अन्य विद्यालयों की भी स्थिति है। आपदा व अतिवृष्टि के चलते यह भवनों की स्थिति खराब हो रखी है। इन विद्यालयों की मरम्मत क लिए अभी बजट नहीं आया है। अभिभावकों को भी अपने बच्चों को लेकर ¨चता बनी रहती है। ब्लॉकवार जर्जर विद्यालयों की संख्या
भिलंगना ,47,चंबा, 29,देवप्रयाग,27, जाखणीधार, 34, जौनपुर, 25, कीर्तिनगर, 43, नरेंद्रनगर, 10, प्रतापनगर, 18, थौलधार, 40 । 


  • पानी की विकराल समस्‍या

    • पानी का संकट लगातार बना हुआ है। पेयजल की आपूर्ति नहीं होने के बावजूद भी लोगों को भारी भरकम बिल थमाए जा रहे हैं। वही नरेंद्रनगर में भी : भीषण गर्मी में नरेंद्रनगरवासी पानी के संकट से जूझ रहे है। शहर के लोगों ने जल संस्थान के सहायक अभियंता केसी पैन्यूली से उनके कार्यालय में मुलाकात कर शहर में नियमित जल आपूर्ति की मांग की है। .
बूंद बूंद पानी के लिए तरसते टिहरी जनपद वासी
टिहरी बांध की झील से देश के कई राज्यों को पानी की आपूर्ति की जा रही है। लेकिन विस्थापित शहर नई टिहरी में स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है। पानी की आपूर्ति विधिवत भी नहीं हो पा रही है। पेयजल के लिए नगर वासियों को हैंडपंप और जलस्रोतों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
नई टिहरी शहर में शुद्ध व विधिवत पेयजल आपूर्ति की मांग को लेकर सुमन पार्क से कलक्ट्रेट परिसर तक जलाधिकार बंठा प्रदर्शन रैली निकाली। इस दौरान उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कलक्ट्रेट परिसर में मिट्टी के खाली मटके भी फोड़े।
नई टिहरी वासियों को पेयजल के लिए भटकना पड़ रहा है, लेकिन शासन-प्रशासन उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। शहर में शीघ्र शुद्ध पेयजल आपूर्ति, खराब हैंडपंपों को दुरस्त करने, जीर्ण-शीर्ण पेयजल लाईनों को ठीक करने, पेयजल बिलों को माफ करने, पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीणों क्षेत्रों में टैकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति करने की ओर कोई ध्‍यान नही है।
घनसाली (टिहरी) में भिलंगना ब्लॉक के घुत्तु में पिछले 15 दिन से पानी का संकट बना हुआ है। लोगों को पानी के लिए जूझना पड़ रहा है, जिससे घुत्तु क्षेत्र के लोगों को भिलंगना नदी से पीने का पानी ढोना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने जल संस्थान पर समस्या पर ध्यान न देने का आरोप लगाया। पेयजल की नियमित आपूर्ति न होने पर खाली बर्तनों के साथ जल संस्थान कार्यालय में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।
घुत्तु में 500 परिवार निवासरत हैं। स्थानीय लोगों को पानी देने के लिए वर्षों पूर्व राणीडांग से घुत्तु बाजार तक पेयजल योजना का निर्माण करवाया था, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण 15 दिन पानी की आपूर्ति ठप पड़ी है। पूर्व प्रधान समन सिंह धनाई, व्यापार मंडल अध्यक्ष विजय उनियाल, अब्बल सिंह, सुंदर राणा, श्रीपति जोशी ने बताया कि पानी की आपूर्ति न होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
नरेंद्रनगर (टिहरी)। दुआधार और आसपास गांव में पेयजल संकट गहरा गया है। ग्रामीणों ने एसडीएम लक्ष्मीराज चौहान से मिलकर जल्द आपूर्ति की मांग की है। दुआधार, हिंडोलाखाल और मां कुंजापुरी मंदिर क्षेत्र में पेयजल का संकट गहराने लगा है। दुआधार में तो दो माह से आपूर्ति ठप पड़ी है। कुंजापुरी में भी पानी का संकट बना हुआ है। क्षेत्र में लगे तीन में से दो हैंडपंप खराब पड़े हैं, जबकि एक में दूषित पानी आ रहा है। जनता ने व्यवस्था में सुधार होने तक टैंकरों से जलापूर्ति कराने की मांग की है।
करीब आठ साल पूर्व पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी। जिसके बाद सिस्टम ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
नबाग में गर्मी शुरू होते ही जल स्त्रोत सूखने से ग्राम मैड मल्ला में पेयजल संकट गहराने लगा है। यहां ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। ग्रामीण ढाई किलोमीटर दूर से पानी ढोकर प्यास बुझाने को विवश हैं। विकासखंड जौनपुर के अंतर्गत दशजुला पट्टी के ग्राम मैड मल्ला गांव में इन दिनों ग्रामवासी पेयजल के संकट से जूझ रहा है। ग्रामीण महिलाएं खेतीबाड़ी का काम निपटाने के बाद करीब ढाई किमी पैदल चलकर दूसरे गांव के प्राकृतिक जल स्त्रोत से पानी लाने को मजबूर हैं, जिससे महिलाओं का अधिकांश समय इसी में व्यतीत हो रहा है। करीब आठ साल पूर्व पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी। जिसके बाद सिस्टम ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। यहां ग्रामीणों के साथ-साथ मवेशियों को भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
नरेंद्रनगर में पाथौं-छतेंडी मोटर मार्ग निर्माण के चलते हैं वर्ष 2017 में क्षतिग्रस्त हुई पाथों गांव की पेयजल पाइप लाइन की मरम्मत अब तक न किए जाने से ग्रामीणों के सामने पेयजल संकट पैदा हो गया है।
ग्राम पाथौं के गांव के राजेंद्र ¨सह पुंडीर व वीरेंद्र ¨सह ने उप जिलाधिकारी को बताया कि वर्ष 2017 में क्षतिग्रस्त पेयजल पाइप लाइन की मरम्मत अब तक नहीं की गई ग्रामीणों ने ही क्षतिग्रस्त पेयजल पाइप लाइन पर पॉलिथीन और प्लास्टिक बांधकर किसी तरह थोड़ा बहुत पानी गांव में पहुंचा रखा था। मगर बगैर मरम्मत के पेयजल पाइप लाइन सूख गई है। क्योंकि खजूरा नामक जल स्त्रोत पर भी पानी की कमी हो गई है। उपजिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद अभी तक समस्या का निस्तारण नहीं हो पाया है।

साभार  हिमालय यूके

 

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