ऋषिकेश :
उत्तम सिंह
ऋषिकेश मे गढवाल महासभा ने मायाकुंड स्थित निःशुल्क उड़ान स्कूल में मेवाड़ नरेश महाराणा प्रताप की जयंती (9 मई)के उपलक्ष्य पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके बलिदान को याद किया गया। स्कूल के निदेशक एवं गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने बताया कि महाराणा प्रताप सिंह का जन्म 9 मई 1540 को आज ही के दिन उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा के यंहा हुआ था। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलो को कही बार युद्ध में भी हराया। उनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ में महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर के घर हुआ था। सन 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में 20,000 राजपूतों को साथ लेकर राणा प्रताप ने मुगल सरदार के 80,000 की सेना का सामना किया। शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को झाला मानसिंह ने आपने प्राण दे कर बचाया था ओर महाराणा को युद्ध भूमि छोड़ने के लिए बोला था।शक्ति सिंह ने अपना अश्व दे कर महाराणा को बचाया था क्योंकि उनके प्रिय अश्व चेतक की मृत्यु हो गयी थी। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परन्तु इसमें 17,000 लोग मारे गएँ। मेवाड़ को जीतने के लिये अकबर ने सभी प्रयास किये। महाराणा प्रताप अकेले ऐसे वीर थे, जिसने मुग़ल बादशाह अकबर की अधीनता किसी भी प्रकार स्वीकार नहीं की। वे हिन्दू कुल के गौरव को सुरक्षित रखने में सदा तल्लीन रहे।इस मौके पर गढ़वाल महासभा के सरंक्षक बैसाख सिंह पयाल, उत्तम असवाल,नरेश वर्मा,कमल सिंह राणा,आशुतोष कुड़ियाल,रवि कुकरेती,प्रिया बिष्ट,निधि शर्मा,प्रिया क्षेत्री,रमेश सिंह लिंगवाल,दीपिका पन्त उपस्थित थे।
उत्तम सिंह
ऋषिकेश मे गढवाल महासभा ने मायाकुंड स्थित निःशुल्क उड़ान स्कूल में मेवाड़ नरेश महाराणा प्रताप की जयंती (9 मई)के उपलक्ष्य पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके बलिदान को याद किया गया। स्कूल के निदेशक एवं गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने बताया कि महाराणा प्रताप सिंह का जन्म 9 मई 1540 को आज ही के दिन उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा के यंहा हुआ था। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलो को कही बार युद्ध में भी हराया। उनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ में महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर के घर हुआ था। सन 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में 20,000 राजपूतों को साथ लेकर राणा प्रताप ने मुगल सरदार के 80,000 की सेना का सामना किया। शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को झाला मानसिंह ने आपने प्राण दे कर बचाया था ओर महाराणा को युद्ध भूमि छोड़ने के लिए बोला था।शक्ति सिंह ने अपना अश्व दे कर महाराणा को बचाया था क्योंकि उनके प्रिय अश्व चेतक की मृत्यु हो गयी थी। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परन्तु इसमें 17,000 लोग मारे गएँ। मेवाड़ को जीतने के लिये अकबर ने सभी प्रयास किये। महाराणा प्रताप अकेले ऐसे वीर थे, जिसने मुग़ल बादशाह अकबर की अधीनता किसी भी प्रकार स्वीकार नहीं की। वे हिन्दू कुल के गौरव को सुरक्षित रखने में सदा तल्लीन रहे।इस मौके पर गढ़वाल महासभा के सरंक्षक बैसाख सिंह पयाल, उत्तम असवाल,नरेश वर्मा,कमल सिंह राणा,आशुतोष कुड़ियाल,रवि कुकरेती,प्रिया बिष्ट,निधि शर्मा,प्रिया क्षेत्री,रमेश सिंह लिंगवाल,दीपिका पन्त उपस्थित थे।
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