गर्भवती महिलाओं को आयरन,कैल्शियम और फोलिक एसिड की दवा तक नहीं मिल रही है
डोईवाला:मुख्यमंत्री उत्तराखंड श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अभी तक सरकारी सहायता की बाट जोह रहा है. चुनाव से पूर्व और चुनाव के तुरंत बाद मुख्यमंत्री जी द्वारा अपने विधानसभा क्षेत्र को बुनियादी सुविधाओं से लबालब भर देने के वादे किये गए थे. परन्तु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , डोईवाला में ओ पी डी के हिसाब से सुविधाओं की कमी सामने आ रही है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को हिमालयन अस्पताल के सुपुर्द करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि हिमालयन अस्पताल द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर तुरंत अमल किया जायेगा. परन्तु वहां x- रे मशीन अत्यंत पुरानी हो चुकी है, अल्ट्रासाउंड मशीन भी यदा कदा ख़राब ही रहती है, जिस कारण इमरजेंसी में आये मरीज़ों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल का जनरेटर इतनी कम क्षमता का है कि समस्त अस्पताल का भार नहीं उठा सकता. इसके अतिरिक्त दवाओं में भी सामुदायिक केंद्र फिस्सडी है, अधिकतर दवाएं बाहर से लेनी पड़ती है, यहाँ तक कि जनऔषधिकेन्द्र केंद्र भी पूर्ति नहीं कर पा रहे है.
तीन महीने से गर्भवती महिलाओं को अस्पताल से कोई भी आयरन, फोलिक एसिड और कैल्शियम की दवाएं उपलब्ध नहीं है.
अतिरिक्त 30 बिस्तरों की व्यवस्था और ऑपरेशन थिएटर से लेकर पैथोलॉजी में मशीन लगाने तक का काम शुरू भी नहीं हो पाया है.
हिमालयन अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि हमारे द्वारा उपलब्ध कराये गए डॉक्टर और प्रयोग में लाये गए किन्ही भवन तक का किराया भी बेतरतीब तरीके से माँगा जा रहा है.
सरकारी अनुदान उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में अस्पताल में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध करना अत्यंत कठिन है..
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री जी अपनी विधानसभा के कार्यों के प्रति इतने सचेत है कि पिछले माह ही उन्होंने अधिकारीयों को डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में सभी प्रकार के विकास कार्यों और सुविधाओं को जनता तक पंहुचने की समीक्षा बैठक भी ली थी. फिर भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं को लेकर संवेदनशीलता क्यों दिखाई नहीं जा रही है ?
10 महीने पहले स्वास्थ्य केंद्र डोईवाला को लेकर क्या हुआ
डोईवाला के डॉक्टरों और स्थानीय राजनेताओं ने स्वामी राम हिमालयी विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के साथ राज्य स्वास्थ्य विभाग के समझौते पर शनिवार को निराशा व्यक्त की। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्वाचन क्षेत्र के निवासियों ने कहा कि समझौता "निजीकरण की दिशा में एक कदम" है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. यहाँ तक की विरोधी राजनैतिक पार्टियों ने भी इसका विरोध किया था. ।
अंततः स्वास्थ्य विभाग और एसआरएचयू के बीच हस्ताक्षरित प्रो-बोन समझौते के मुताबिक, डोईवाला समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में हिमालयी इंस्टीट्यूट अस्पताल ट्रस्ट (एचआईएचटी) के 13 डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ होंगे, जबकि पूरा कामकाज हाथों में होगा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, जो एक सरकारी डॉक्टर होंगे। लेखाकार, दुकानदार और फार्मासिस्ट राज्य सरकार का होगा।
डॉक्टरों को 1 अगस्त से अस्पताल में तैनात किया जाएगा, जबकि एचआईएचटी द्वारा इसकी पूर्ण कार्यवाही 14 अगस्त से शुरू होगी। जबकि डोईवाला के निवासियों को यह डर था कि निजी हाथों में आने से उन्हें रेफेरल उपचारों से अनावश्यक जूझना पड़ेगा ।
सरकारी डॉक्टरों के निकायों और प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं (पीएमएचएस) के डॉक्टरों ने कहा कि यह कदम सार्वजनिक और स्वास्थ्य विभागों के लिए हानिकारक था। "सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के सरकारी डॉक्टर सरकारी अस्पतालों के निजीकरण के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, चूंकि यह राज्य सरकार का यह तय करने का विशेषाधिकार है कि यह कैसे अपना स्वास्थ्य प्रणाली चलाएगा, हम इसके बारे में कुछ भी नहीं कर सकते हैं। पीएमएचएस उत्तराखंड के महासचिव डॉ एनएस नेपच्यल ने कहा, "हम बस उनके निर्देशों का पालन करेंगे।"
एक टिप्पणी भेजें