ऋषिकेश;
उत्तरप्रदेश राज्य के विभिन्न शहरों यथा आगरा, अलीगढ़, मैनपुरी, इटावा और अन्य शहरों से 60 से अधिक चार्टर्ड अकाउंटेंट का एक दल दो दिवसीय प्रवास के लिये परमार्थ निकेतन आया । दल के सदस्यांे ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया। तत्पश्चात परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
चर्चा के दौरान स्वामी जी महाराज ने दल के सभी सदस्यों को गंगा की निर्मलता और अविरलता, पर्यावरण एवं जल संरक्षण तथा वृक्षारोपण अभियान में सहभाग करने का संकल्प कराया।
उत्तरप्रदेश राज्य के विभिन्न शहरों से आये चार्टर्ड अकाउंटेंट के दल को सम्बोधित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, आप सब चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, दूसरों का खाता बनाते हैं लेकिन जीवन में केवल दूसरों के खाते ही न बनाते रह जायें बल्कि अपना खाता भी खोलंे। उन्होने कहा कि अपना खाता तो खुला है, हम उस पर ध्यान दंे या न दंे, ’’मेरे मालिक के दरबार में सब लोगों का खाता खुला है’’ स्वामी जी ने कहा कि अपनी बेलेंस सीट रोज खुद ही बनायें, आडिट करें और एडिट करें यह जीवन में बहुत जरूरी है। यहां पर अपनी बेलेंस सीट को कोई और न आडिट कर सकता है न एडिट कर सकता है और किसी बाहर के व्यक्ति द्वारा एडिट की बेलंेस सीट काम भी नहीं आयेगी इसलिये हम जाग कर दिन-रात जीवन मूर्ति कुछ ऐसी बनायें खुुद उसे देखंे समझ लंे झूम जायंे; चूम जायें। हम खुद को सर्टिफिकेट दंे, दूसरों के दिये सर्टिफिकेट बाहर की दुनिया में तो काम करते हैं लेकिन भीतर की शान्ति के लिये खुद को ही सर्टिफिकेट देना होगा। हमें जानना होगा की हमारे काम हमें शान्ति के पथ पर ले जा रहे हंै या अशान्ति के पथ पर, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। स्वामी जी ने कहा कि बाहर भी एक दुनिया है और भीतर भी एक दुनिया है हमें भीतर की दुनिया के लिये काम करते रहना चाहिये। जब भीतर शान्त होगा तो बाहर की सृष्टि भी सुन्दर होगी लेकिन हम बाहर की सृष्टि कितनी भी सुन्दर बना लें परन्तु भीतर अशान्ति होगी तो सब कुछ होते हुये भी नहीं होने जैसा होगा इसलिये अपनी बेलेंस सीट भी बनाते रहें; अपना खाता भी खोलें, अपने खातों की भी जांच करें और रोज-रोज जांच करंे यही तो जीवन है।
स्वामी जी से चर्चा के दौरान कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बताया की वे बाल्यावस्था में माँ गंगा के तट पर आते थे आज वे अपने बच्चों के साथ तथा उनकी भी अगली पीढ़ी के साथ माँ गंगा के दर्शन हेतु आते हैं। स्वामी जी ने कहा कि यही है भारतीय संस्कार और सभ्यता। उन्होने सभी को संस्कार और भारतीय संस्कृति से जुड़े रहने का संदेश दिया और कहा कि अपनी संस्कृति और संस्कारों से जुड़े रहंे, इसी परम्परा से परिवारों में संस्कार, संस्कृति, समृद्धि और शान्ति भी आयेगी। स्वामी जी ने कहा कि ’’जीवन में केवल सुखी होना काफी नहीं है बल्कि शान्त होना भी जरूरी है; बड़ा होना काफी नहीं है बल्कि बढ़िया होना भी जरूरी है और यह सब अध्यात्म के पथ पर चलते हुये प्राप्त किया जा सकता है।
दल के सदस्यों ने परमार्थ प्रवास और परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती को अविस्मर्णीय बताया। उन्होने कहा कि यह दिव्य क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है। दल के सदस्यों ने स्वामी जी महाराज के पावन सान्निध्य में वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की।
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