रुद्रप्रयाग :
भूपेंद्र भंडारी
देवभूमि उत्तराखंड के आलोकिक देवी देवताओं की दन्त कथाएं सत्य में सिद्ध होती नज़र आती है, जब चारधाम यात्रा की शुरुआत होती है, इसी कड़ी में गढवाल के प्रसिद्व महासू देवता इन दिनों चारधाम के भ्रमण पर हैं। भगवान शिव के रुप में पूजित महासू देवता को पांचवां धाम घोषित करने के लिए प्रदेश व केन्द्र सरकार में लगातार पत्राचार चल रहा है।
करीब ढाई सौ श्रद्वालुओं के साथ महासू देवता की डोली नौवें दिन रुद्रप्रयाग पहुंची, जहां स्थानीय भक्तों ने भी भगवान के दर्शन किये। अनेक पडावों पर रुकते हुए डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी जहां बाबा केदार से मिलने के बाद डोली अपने धाम के लिए लौट जायेगी। मान्यता के अनुसार महाशिव के प्रतिरुप होने के कारण ही इन्हें महासू देवता कहा जाता है और हर वर्ष देश विदेश के सैकडों श्रद्वालु यहां दर्शनों को पहुंचते हैं। यहां पर भगवान की मूर्ति पूजा होती है और पुराणों के अनुसार कश्मीर से भगवान शिव यहां आये थे।
भूपेंद्र भंडारी
देवभूमि उत्तराखंड के आलोकिक देवी देवताओं की दन्त कथाएं सत्य में सिद्ध होती नज़र आती है, जब चारधाम यात्रा की शुरुआत होती है, इसी कड़ी में गढवाल के प्रसिद्व महासू देवता इन दिनों चारधाम के भ्रमण पर हैं। भगवान शिव के रुप में पूजित महासू देवता को पांचवां धाम घोषित करने के लिए प्रदेश व केन्द्र सरकार में लगातार पत्राचार चल रहा है।
करीब ढाई सौ श्रद्वालुओं के साथ महासू देवता की डोली नौवें दिन रुद्रप्रयाग पहुंची, जहां स्थानीय भक्तों ने भी भगवान के दर्शन किये। अनेक पडावों पर रुकते हुए डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी जहां बाबा केदार से मिलने के बाद डोली अपने धाम के लिए लौट जायेगी। मान्यता के अनुसार महाशिव के प्रतिरुप होने के कारण ही इन्हें महासू देवता कहा जाता है और हर वर्ष देश विदेश के सैकडों श्रद्वालु यहां दर्शनों को पहुंचते हैं। यहां पर भगवान की मूर्ति पूजा होती है और पुराणों के अनुसार कश्मीर से भगवान शिव यहां आये थे।
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