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हरिद्वार:
समस्त स्थानीय निकायों व पंचायतों  स्लॉटर हाउस की अनिवार्यता करने पर बैकफुट पर आया प्रशासन   


धर्मनगरी हरिद्वार  प्रत्येक नगर पंचायत और  स्थानीय निकायों में स्लॉटर हाउस की मंजूरी देकर  सरकार और प्रशासन क्या सन्देश देना चाहते है, ये समझ से परे है.  जहाँ एक और मीट मांस की अवैध दुकानों  को लेकर लोग  क्षुब्ध लोग आत्मदाह तक कर रहे है, वहीँ स्लॉटर हाउस की अनिवार्यता  करने का अर्थ समझ नहीं आता है. 
हरिद्वार के ज्वालापुर  क्षेत्र में पहले से  ही स्लॉटर हाउस से निकलने वाले अवशेषों को नालों में बहा दिया जाता है. जिससे आम आदमी का दुर्गन्ध के मारे  बुरा हाल है. और पानी का प्रदूषण अलग है. इन पर सीवेज  ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की बातें भी मात्र  दिखावा है. यदि प्रशासन सीवेज  ट्रीटमेंट प्लांट लगाने में मुस्तैदी नहीं दिखा पायी तो स्लॉटर हाउस प्रत्येक पंचायत में लगाने का क्या औचित्य है? पहले तो आवशयकता इस बात की है कि स्लॉटर हाउस जहाँ भी बने वहां पहले सीवेज  ट्रीटमेंट प्लांट लगे  अन्यथा    न जाने धर्मनगरी का आने वाले समय में क्या हाल होगा और  क्या होगा नमामि गंगे  योजना का ?



ज्ञात को कि  जिलाधिकारी दीपक रावत की अध्यक्षता में जिला पशु क्रूूरता निवारण समिति की बैठक बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में समिति के लिए नामित उपाध्यक्ष एसएसपी की प्रतिनिधि के रूप में एएसपी सुश्री रचिता जुयाल, उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड देहरादून से आये प्रभारी अधिकारी डा. आशुतोष जोशी, नगर आयुक्त रूड़की अशोक कुमार पाण्डेय, वन विभाग, खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों के अलावा गैर सरकारी सदस्य भी उपस्थित रहे। 
जिलाधिकारी ने पशु कल्याण के लिए आवारा पशुओं के लिए कांजी हाउस तथा मांस विक्रेताओं के लिए स्लाॅटर हाउस को नितांत आवश्यक बताया। डीएम ने नगर आयुक्त नितिन भदौरिया सहित समस्त स्थानीय निकायों व पंचायतों को निर्देश दिये कि वह अपने क्षेत्रो में कांजी हाउस, स्लाॅटर हाउस अनिवार्य रूप से बनायें। श्री भदौरिया ने डीएम को अवगत कराते हुए बताया कि कांजी हाउस, गौशाला एवं स्लाॅटर हाउस जिले में बनाये जाने के प्रस्ताव निगम द्वारा शासन को प्रेषित किये जा चुके हैं , प्रस्तावों के लिए बजट की मांग भी की गयी है। शीघ्र ही इस पर निर्णय हो जाने की सम्भावना है।
  जिलाधिकारी ने गौवंश संरक्षण और संवर्धन के लिए निजी गौशाला संचालकों, तथा सरकारी सहायता प्राप्त कर रही गौशाला संचालकों से कहा कि जिला प्रशासन के पास अपना कांजी हाउस तैयार होने तक वह प्रशासन द्वारा तस्करों से छुडा़यी गयी गायों को अपने यहां देखभाल करें। जिस पर सभी गौशाला संचालकों ने सहमती जतायी।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी वीसी कर्णाटका ने बताया कि जनपद में जानवरों  पर की जाने वाली क्रूरता का निवारण करने के लिए जनपद के अनेक एनजीओ की सहायता भी ली जा रही है। राज्य सहायता प्राप्त गौशलाओें को चारा, देखभाल आदि मद में आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।

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