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बहुगुणा जी ने संघर्ष करते हुए स्थापित किये वैचारिक कीर्तिमानः प्रीतम सिंह
देहरादून :  
 देश के महान नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं अविभाजित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 हेमवती नन्दन बहुगुणा के 99वें जन्म दिवस के अवसर पर देवभूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट के तत्वावधान में आज घंटाघर स्थित बहुगुणा काम्प्लेक्स में धूमधाम से एच.एन. बहुगुणा जन्म शताब्दी समारोह का शुभारम्भ उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष  प्रीतम सिंह ने किया। स्व0 एच.एन. बहुगुणा की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के पश्चात प्रीतम सिंह ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि गढ़वाल के एक छोटे से गांव बुधाणी में सामान्य परिवार में जन्मे हेमवती नन्दन बहुगुणा जी ने जिस प्रकार से गढ़वाल से इलाहाबाद तक की शैक्षणिक यात्रा, छात्र राजनीति, स्वतंत्रता संग्राम और फिर देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के विधायक से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, भारत सरकार के संचार मंत्री से लेकर वित्त मंत्री और लम्बे समय तक विपक्ष के नेता के रूप में देश को नेतृत्व दिया और जीवनभर जिस विचारधारा पर चले तथा कभी उन पर समझौता नहीं किया उससे उन्होंने देश की भावी पीढ़ियों को धर्मनिरपेक्षता की ठोस विचारधारा विरासत में दी और देश में वैचारिक कीर्तिमान स्थिापित किये।
    कार्यक्रम संयोजक एवं देवभूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ने कहा कि हेमवती नन्दन बहुगुणा व्यक्ति नहीं बल्कि विचाधारा थे। बहुगुणा जी ने अपने पूरे जीवन में कभी सिद्धांतों एवं विचारधारा की कीमत पर समझौता नहीं किया। उन्होंने हमेशा कहा कि ‘हिमालय टूट सकता है पर झुक नहीं सकता’।
    गोष्ठी में महानगर कांग्रेस अध्यक्ष पृथ्वीराज चैहान, पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा, पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी, जगदीश धीमान, आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में महेश जोशी, राजेश चमोली, सूरत सिंह नेगी, सुनील जायसवाल, राजेश शर्मा, कुंवर सिंह यादव, राजेश पाण्डे, परिणीता बडोनी, शांति रावत, सावित्री थापा, राजेश उनियाल, त्रिलोक सजवाण,  दीप बोहरा, वीर सिंह, अल्ताफ कासमी, सुल्तान इजजार, जगपाल शर्मा, शराफत, अरूण शर्मा, घनश्याम वर्मा, संजय थापा, मानव वाष्णेय सहित बडी संख्या में लोग उपस्थित थे।
धस्माना ने कहा कि बहुगुणा जी के ऊपर अंग्रेज सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दस हजार जिन्दा या मुर्दा इनाम रखा था और जब वे गिरफ्तार हुए तो माफी मांगने की शर्त पर अंग्रेज सरकार ने उनको छोडने की पेशकश उनके पिता के माध्यम से की थी किन्तु बहुगुणा जी ने माफी मांगने से साफ मना कर दिया था। श्री धस्माना ने कहा कि बहुगुणा जी ने जनता दल के निर्माण के समय उसमें शामिल होने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि तत्कालीन जनता दल नेताओं ने बहुगुणा जी की यह शर्त मानने से मना कर दिया था कि जनतादल का रिस्ता किसी साम्प्रदायिक दल से नहीं रहेगा।

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