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चिकित्सक, अध्यापक और धर्मगुरू अंगदान के प्रति जागरुकता फैलाएं:राष्ट्रपति 


राष्ट्रपति  रामनाथ कोविंद दधीचि देह-दान समिति द्वारा नई दिल्ली में 10 नवंबर 2017, को आयोजित देहदानियों का उत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए।


इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अंग/देह का दान करना हमारी प्राचीन सभ्यता में लोकाचार का अभिन्न हिस्सा रहा है, ऐसा माना जाता है कि महिर्षि दधीचि ने अपना शरीर देवताओं को दान में दे दिया था ताकि वे उनकी अस्थियों से हथियार बनाकर राक्षसों को पराजित कर सकें। ऐसी भावना मानवता और प्रेरणा का प्रतीक है कि जीवित रहते या मृत्यु के बाद हमारा शरीर या इसके अंग लोगों के काम आ सकें।


राष्ट्रपति ने कहा कि अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष हमारे देश में लगभग 5 लाख लोगों की अंग प्रत्यारोपण के अभाव में मौत हो जाती है। इनमें से 2 लाख लोग यकृत संबंधी और 50 हजार हृदय धमनियों से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित होते हैं। इसके अलावा करीब 1.50 लाख लोग किडनी प्रत्यारोपण न होने से मारे जाते हैं। राष्ट्रपति ने चिकित्सकों, शैक्षणिक संस्थानों, अध्यापकों और धार्मिक गुरूओं से लोगों के बीच अंगदान के प्रति जागरुकता फैलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि निर्धनता के कारण कुछ लोगों को अपने शरीर के अंगों को बेचने को मजबूर होना पड़ता है जो अस्वीकार्य है। यदि हम स्वैच्छिक अंगदान की संस्कृति को स्थापित करें तो अंगों की खरीद फरोख्त अपने आप बंद हो जाएगी।

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