राइट टू हेल्थ को लेकर एम्स, ऋषिकेश के खिलाफ धरना प्रदर्शन जारी है। 03 अक्टूबर को एम्स में शुल्क वृद्धि की गयी थी जो अन्य एम्स अस्पतालों के मुकाबले बहुत अधिक है. स्थानीय निवासी इससे बड़े परेशान है। अतः उन्होंने प्रभंधन के खिलाफ अनिश्चितकालीन मोर्चा खोल दिया है
03 नवंबर को डॉ रविकांत ने पुनः एक पात्र के माध्यम से अवगत कराया है कि--
सामान्य के लिए ( CGHS) प्रक्रिया दर 75% कम हो जाएँगी
यदि आवश्यक हो तो इम्प्लांट / स्टंट की लागत अतिरिक्त होगी
यदि आवश्यक हो तो उपभोज्य(consumable ) की लागत अतिरिक्त होगी
गरीब और बीपीएल का मुफ्त खर्च माना जाएगा
आघात और आपातकालीन प्रभारों को डीएमएस द्वारापर विचार किया जा सकता है यदि आवश्यक है
कोई और मरीज़ भी अनुमोदित कंसल्टेंट्स / डीएमएस द्वारा मुफ़्त उपचार प्राप्त कर सकता है
परन्तु सवाल ये उठता है कि एम्स ऋषिकेश के इस फैसले से प्रदर्शनकारी संतुष्ट होंगे या नहीं. उत्तराखंड में पहले से ही स्वास्थ्य व्यवस्था लचर हालत मैं चली आरही है, ऐसे में एम्स को लेकर लोगों में जो उम्मीद जगी थी. वो भी गायब हो गयी है. यदि एम्स प्रशासन लोगों की आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरता है तो बड़े अनशन की तैयारी भी हो सकती है.
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