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हरिद्वार:


शुभारम्भ बैंकट हाल, आर्य नगर, हरिद्वार में सेवाभावी संस्थाओं द्वारा आयोजित श्रीरामकथा के 5 वें दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए आचार्य शान्तनु जी महाराज ने गुरू महिमा और रामविवाह पर केन्द्रित कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि विश्वामित्र विश्व कल्याण के लिए भगवान को ले गए।


उन्होंने कहा कि भगवान से नहीं भगवान को मांगना चाहिए। जिस जड़ से दुर्गुणों को शक्ति मिलती हो, उसे मार देना चाहिए। आचार्य जी ने कहा कि जब श्रीराम जनकपुर के लिए चले तो गुरु विश्वामित्र आगे और श्रीराम पीछे-पीछे थे। यानी सदैव गुरु के ही पीछे चलना चाहिए यह सीख खुद भगवान ने दी है। गुरु का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु का सर्वोच्च स्थान है। ‘गुरु बिनु भव निधि टरहि न कोई’ जिसका कोई गुरु नहीं वह भवसागर से पार नहीं हो सकता है।

अहिल्या उद्धार प्रसंग का भावुक वर्णन करते हुए कथा व्यास ने कहा कि अहिल्या ने अपराध को छिपाया नहीं इसलिए परमात्मा स्वयं उसे मुक्त करने के लिए आए। आज लोग पुण्य बताते हैं और पाप छिपाते हैं।

श्रीराम विवाह का मोहक वर्णन करते हुए आचार्य जी ने कहा कि श्रीराम और लक्ष्मण जब जनकपुर की गलियों में पहुंचे तो उनके दर्शन मात्र से नगरी धन्य हो गई। ‘देखन नगर भूप सब आए, समाचार पुरवासिन्ह पाए’ पुष्पवाटिका में श्रीरामचन्द्र और लक्ष्मण के प्रवेश एवं सीता द्वारा सखियों के साथ गौरी पूजन का वर्णन किया। पुष्पवाटिका में कितना सुखद है कि श्रीराम गुरु पूजा के लिए फूल लेने गए और माता जानकी गौरी पूजन के लिए। धनुष यज्ञ, लक्ष्मण परशुराम संवाद की कथा के भाव पूर्ण प्रसंग सुनकर श्रोता भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे।

आज कथा में पद्श्री राष्ट्रीय पत्रकार जवाहर लाल कौल, अषोक त्रिपाठी ने भी कथा का रसपान किया। कथा का संचालन मयंक शर्मा ने किया।

आज की कथा में मुख्य यजमान जगदीश लाल पाहवा, डॉ. विशाल गर्ग, डॉ. मनीष दत्त, राजकुमार शर्मा, बृजेश शर्मा रहे। कथा व्यास का नरेश लखोटिया, लीलावती गौतम, विवेक द्विवेदी, के.के. सिंघल, कैलाश चन्द्र जोशी, कमला जोशी, प्रमिला चतुर्वेदी, अमिता खरे ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।

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