ज्वालापुर के सदियों पुराने कस्साबान नालें के ट्रीटमेंट को लेकर हरिद्वार प्रशासन द्वारा दिखाई जा रही रूचि काबिले तारीफ है. इस नाले की साफ सफाई से ज्वालापुर का नक्शा ही बदल जायेगा और लोग स्वच्छ हवा में सांस ले सकेंगे .
हरिद्वार:
जिलाधिकारी दीपक रावत ने नमामी गंगे योजना के तहत गंगा की स्वच्छता को बनाये रखने के लिए जनपद के विभिन्न नालों का गंदा पानी गंगा में विलय होने से रोकने के लिए ज्वालापुर कस्साबान नाले तथा सराय एसटीपी की बीच पांच किमी. लम्बी पाइप लाइन बिछाये जाने के कार्यों का आज स्थलीय निरीक्षण किया।
अधिकारियों द्वारा जानकारी लिये जाने पर उन्होंने बताया कि उक्त नाला शहर का सबसे बड़ा नाला है। नाले का पानी गंगा में न पहुंचे इसके लिए नाले के पानी की सप्लाई सीधे सराय स्थित सीवरेज ट्रीटेमेंट प्लांट में किये जाने का कार्य शुरू कर दिया गया है।
जिलाधिकारी ने सराय एसटीपी का भी निरीक्षण किया। गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शुरू किये गये पाइप लाइन के कार्यो से नाले का गंदा पानी ट्रीटमेंट किये जाने की विस्तृत जानकारी डीएम ने जल संस्थान व जल निगम के अधिकारियों से ली।
पेयजल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर आर के जैन ने बताया कि प्लांट की क्षमता 18 एमएलडी की है। जो प्रतिदिन एक करोड़ बीस लीटर पानी को ट्रीट कर सकता है। नाले का पानी आने के बाद भी प्लांट कार्य कर सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि ट्रीट हो चुका पानी प्रदूषण से मुक्त होने के बाद सिंचाई कार्यो के लिए एकदम उपयुक्त हो जाता है। वर्तमान में यह पानी रानीपुर सूखी नदी में सप्लाई किया जा रहा है। शीघ्र ही प्लांट के पानी का प्रयोग सिंचाई में किये जाने के लिए कैनाल नेटवर्क तैयार कर वहां पानी सप्लाई किया जायेगा।
जिलाधिकारी ने ट्रीटड पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए प्लांट में स्थापित लैब का भी निरीक्षण किया तथा जल की शुद्धता निर्धारित करने वाले मानकों का भी समीक्षा की।
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